सत्तर के दशक में जब Shatrughan Sinha ने फिल्म इंडस्ट्री में अपने दमदार संवादों और अनोखे अंदाज से पहचान बनानी शुरू की थी तब वह एक ऐसे किरदार की तलाश में थे जो उनकी गंभीर और आक्रामक छवि को पूरी तरह उभारे। उस दौर में उन्हें कई फिल्में मिलीं लेकिन उनमें से कुछ ही उनकी असली काबिलियत को दिखा सकीं। ऐसे में ‘Samay Ki Dhaara’ एक सुनहरा मौका बनकर सामने आई जिसने उनके करियर में अलग पहचान बनाई।
निर्माता की पहली पसंद नहीं थे शत्रुघ्न
फिल्म ‘Samay Ki Dhaara’ के निर्देशक और निर्माता शुरुआत में शत्रुघ्न सिन्हा को फिल्म में लेना ही नहीं चाहते थे। उनकी पहली पसंद एक रोमांटिक हीरो थे क्योंकि फिल्म की स्क्रिप्ट में शुरुआत में प्रेम और त्याग की भावना प्रमुख थी। लेकिन जैसे ही स्क्रिप्ट का दूसरा हिस्सा तैयार हुआ और उसमें एक दमदार सामाजिक और न्यायप्रिय किरदार उभरा तब निर्देशक की सोच बदलने लगी। उन्होंने महसूस किया कि इस किरदार में केवल वही अभिनेता जान फूंक सकता है जो अपने संवादों से स्क्रीन को हिला दे और वही थे शत्रुघ्न सिन्हा।
एक इवेंट में हुई थी मुलाकात
‘Samay Ki Dhaara’ के निर्देशक की शत्रुघ्न सिन्हा से पहली बार मुलाकात एक फिल्मी इवेंट में हुई थी जहां शत्रुघ्न ने मंच से कुछ ऐसा बोल दिया जिसने सबका ध्यान खींच लिया। उनकी आवाज उनकी हाजिरजवाबी और उनके आत्मविश्वास ने निर्देशक को चौंका दिया। उस समय निर्देशक को महसूस हुआ कि जो पावरफुल किरदार वह ढूंढ रहे थे वह उनके सामने खड़ा है। इसके बाद शत्रुघ्न को स्क्रिप्ट सुनाई गई और उन्होंने फौरन हां कर दी।
सेट पर छा गया शत्रुघ्न का अंदाज
फिल्म की शूटिंग शुरू होते ही सेट पर शत्रुघ्न सिन्हा का जलवा दिखने लगा। उन्होंने अपने सीन बिना रीटेक के पूरे किए और हर डायलॉग को इस तरह बोला कि पूरी यूनिट तालियां बजाने पर मजबूर हो गई। उनके अभिनय ने फिल्म के बाकी कलाकारों को भी प्रेरित किया और फिल्म की टीम ने माना कि शत्रुघ्न के आने से पूरी फिल्म की दिशा बदल गई। यहां तक कि फिल्म का म्यूजिक भी उनके किरदार की गहराई को देखते हुए दोबारा तैयार किया गया।
फिल्म की सफलता और शत्रुघ्न की छाप
‘Samay Ki Dhaara’ बॉक्स ऑफिस पर एक औसत हिट साबित हुई लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा के अभिनय की जमकर तारीफ हुई। उनके द्वारा निभाए गए किरदार को क्रिटिक्स ने ‘इमोशन और ताकत का सही मेल’ बताया। यह फिल्म भले ही व्यावसायिक रूप से बहुत बड़ी हिट नहीं रही लेकिन इसने शत्रुघ्न को सीरियस रोल्स के लिए निर्देशकों की पहली पसंद बना दिया। उनके डायलॉग्स आज भी कई थियेटरों और ड्रामा स्कूलों में बोले जाते हैं।