“Major Sahab”, 1998 में रिलीज़ हुई, एक बेहतरीन एक्शन-ड्रामा फिल्म है, जिसमें बॉलीवुड के दो सबसे बड़े सितारे, अजय देवगन और अमिताभ बच्चन, मुख्य भूमिकाओं में नजर आए थे। इस फिल्म का निर्देशन टी. के. राजीव कुमार ने किया था और इसका निर्माण अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड (ABCL) के बैनर तले किया गया था। फिल्म की कहानी एक सैन्य पृष्ठभूमि पर आधारित है और इसमें दोस्ती, कर्तव्य, सम्मान, और प्रेम के जटिल पहलुओं को प्रस्तुत किया गया है।
आइए जानते हैं कि कैसे अजय देवगन और अमिताभ बच्चन को इस फिल्म में रोल मिला, और फिल्म की कुछ दिलचस्प बातें।
फिल्म “मेजर साहब” का निर्माण और पृष्ठभूमि
“मेजर साहब” का निर्माण ऐसे समय में हुआ जब अमिताभ बच्चन का प्रोडक्शन हाउस ABCL फिल्म निर्माण के क्षेत्र में अपने पांव जमा रहा था। यह फिल्म इस बैनर की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक थी। अमिताभ बच्चन, जो भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित अभिनेताओं में से एक हैं, अपने प्रोडक्शन हाउस के माध्यम से कुछ अनोखी और मनोरंजक कहानियाँ पेश करना चाहते थे। इस फिल्म का उद्देश्य न केवल एक रोमांचक कहानी को पर्दे पर लाना था, बल्कि देशभक्ति, अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा जैसे मूल्यों को भी उभारना था, जो सेना के जीवन का अभिन्न हिस्सा होते हैं।
फिल्म की कहानी में सैन्य प्रशिक्षण, अनुशासन, और एक रोमांटिक ट्रैक को खूबसूरती से गूंथा गया था, जिससे यह एक रोमांचक और भावनात्मक ड्रामा बन गई।
अजय देवगन को रोल कैसे मिला
अजय देवगन, जिन्होंने 1990 के दशक में अपनी दमदार एक्शन और गंभीर भूमिकाओं के माध्यम से इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी, पहले से ही अपनी फिल्मों के जरिए सफल हो चुके थे। उनके एक्शन सीन्स, इमोशनल परफॉर्मेंस और स्टंट्स के लिए दर्शक उनकी सराहना करते थे। जब “मेजर साहब” के लिए कास्टिंग की बात आई, तो निर्माताओं को एक ऐसा अभिनेता चाहिए था जो केवल एक्शन नहीं, बल्कि इमोशनल और रोमांटिक दृश्यों में भी दमदार परफॉर्मेंस दे सके।
अजय देवगन की फिल्मी छवि उस समय एक उभरते हुए एक्शन स्टार की थी, और यह फिल्म उनके लिए एक आदर्श अवसर थी, क्योंकि इसमें उन्हें भारतीय सेना के एक कैडेट की भूमिका निभानी थी। अजय देवगन का दमदार व्यक्तित्व और अनुशासनिक छवि इस किरदार के लिए एकदम सही बैठती थी। इस फिल्म में अजय के किरदार का नाम विक्रांत था, जो कि एक विद्रोही और स्वतंत्र स्वभाव का नौजवान है, जिसे सेना के अनुशासन में ढालने की कोशिश की जाती है।
अजय देवगन ने इस चुनौतीपूर्ण भूमिका को बड़ी ही कुशलता से निभाया, और उनके अभिनय ने विक्रांत के किरदार को एक यादगार पहचान दी।
अमिताभ बच्चन का रोल
अमिताभ बच्चन, जो इस फिल्म के सह-निर्माता थे, ने फिल्म में मेजर जसवंत सिंह का मुख्य किरदार निभाया। अमिताभ का यह किरदार भारतीय सेना के एक सख्त और अनुशासनप्रिय अधिकारी का था, जिसे अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पर गर्व है। वह विक्रांत (अजय देवगन) को सही रास्ते पर लाने के लिए उसे कठोर सैन्य प्रशिक्षण देता है।
अमिताभ बच्चन के रोल को बहुत खास तरीके से लिखा गया था, जिसमें उनके करिश्माई व्यक्तित्व और दमदार आवाज ने जान डाल दी थी। फिल्म में उनका किरदार एक आदर्श सैनिक और मार्गदर्शक का है, जो अपने अनुशासन और नैतिक मूल्यों के लिए दृढ़ रहता है।
अमिताभ बच्चन को इस रोल के लिए चुनना एक स्वाभाविक फैसला था, क्योंकि उनकी छवि भारतीय सिनेमा में एक सशक्त और गंभीर व्यक्तित्व की रही है। इसके अलावा, अमिताभ खुद इस फिल्म के निर्माता भी थे, तो यह किरदार उनके लिए एक व्यक्तिगत महत्व भी रखता था।
फिल्म की कहानी
“मेजर साहब” की कहानी भारतीय सेना की पृष्ठभूमि पर आधारित है और इसमें एक्शन, ड्रामा, रोमांस, और देशभक्ति का बेहतरीन मिश्रण है। कहानी शुरू होती है विक्रांत (अजय देवगन) से, जो एक धनी परिवार से ताल्लुक रखता है और जिसे अनुशासन और कर्तव्य का कोई विशेष ज्ञान नहीं है। वह एक मस्तीखोर और विद्रोही युवक है, जिसे अपने दादा की अंतिम इच्छा के अनुसार सेना में शामिल होना पड़ता है।
विक्रांत को भारतीय सैन्य अकादमी में भेजा जाता है, जहाँ उसकी मुलाकात मेजर जसवंत सिंह (अमिताभ बच्चन) से होती है। मेजर जसवंत एक सख्त अनुशासनप्रिय अधिकारी हैं, जो सेना के नियमों और परंपराओं का पालन करते हैं। विक्रांत की मस्ती और अनुशासनहीनता मेजर जसवंत को परेशान करती है, और वह उसे सही रास्ते पर लाने की कोशिश करते हैं।
कहानी का रोमांटिक ट्रैक तब सामने आता है जब विक्रांत की मुलाकात निशा (सोनाली बेंद्रे) से होती है, जो उसकी प्रेमिका बनती है। विक्रांत का प्यार और सेना के अनुशासन के बीच का संघर्ष कहानी को और दिलचस्प बनाता है।
फिल्म का मुख्य ड्रामा तब शुरू होता है जब विक्रांत और मेजर जसवंत के बीच का टकराव एक भावनात्मक और प्रेरणादायक यात्रा में बदल जाता है। धीरे-धीरे, विक्रांत को समझ में आता है कि जीवन में अनुशासन, कर्तव्य और जिम्मेदारी का क्या महत्व है, और वह एक जिम्मेदार और निष्ठावान सैनिक बनने की राह पर चलता है।
फिल्म के दिलचस्प पहलू
अजय देवगन और अमिताभ बच्चन की जोड़ी: इस फिल्म में अजय देवगन और अमिताभ बच्चन की जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया। दोनों के बीच का टकराव और अनुशासन बनाम विद्रोह का द्वंद्व फिल्म का मुख्य आकर्षण था।
सेना की सख्ती और अनुशासन: फिल्म में भारतीय सेना के अनुशासन और कठिन प्रशिक्षण को बहुत ही वास्तविक और प्रभावी ढंग से दिखाया गया है। फिल्म ने दर्शकों को सेना के जीवन की कठिनाइयों और उसकी गरिमा के प्रति एक नया दृष्टिकोण दिया।
संगीत और गाने: फिल्म का संगीत उस समय बेहद लोकप्रिय हुआ था। आनंद-मिलिंद द्वारा संगीतबद्ध गाने, जैसे “प्यार किया तो निभाना” और “सत्ते पे सत्ता”, फिल्म की लोकप्रियता में चार चांद लगाने का काम करते हैं। इन गानों को आज भी श्रोताओं के बीच पसंद किया जाता है।
भावनात्मक अंत: फिल्म का क्लाइमेक्स एक भावनात्मक मोड़ पर पहुँचता है, जब विक्रांत अपनी गलतियों को समझता है और अपने जीवन में बदलाव लाता है। अंत में, वह एक जिम्मेदार सैनिक और इंसान के रूप में उभरता है, और मेजर जसवंत के साथ उसके संबंधों में भी सुधार आता है।
फिल्म की प्रतिक्रिया और सफलता
“मेजर साहब” को बॉक्स ऑफिस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। हालांकि फिल्म को आलोचकों से सकारात्मक समीक्षाएं मिलीं, लेकिन यह बॉक्स ऑफिस पर बहुत बड़ी हिट साबित नहीं हुई। फिर भी, अजय देवगन और अमिताभ बच्चन की जोड़ी ने दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई। खासकर अमिताभ बच्चन के अनुशासनप्रिय और सख्त किरदार को काफी सराहा गया।
फिल्म ने अपने समय में भारतीय सेना और देशभक्ति पर आधारित फिल्मों के प्रति दर्शकों के बीच एक नया आकर्षण पैदा किया।
“मेजर साहब” अजय देवगन और अमिताभ बच्चन के करियर की एक महत्वपूर्ण फिल्म मानी जाती है। इस फिल्म ने दर्शकों को अनुशासन, कर्तव्य और प्रेम की एक अनोखी कहानी से जोड़ा। फिल्म का संदेश और इसके किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं, और अजय देवगन और अमिताभ बच्चन की जोड़ी को इस फिल्म के जरिए लंबे समय तक याद रखा जाएगा।