Insaniyat: 1994 में रिलीज़ हुई फिल्म “इंसानियत” बॉलीवुड की एक बहुचर्चित फिल्म रही, जिसमें महानायक अमिताभ बच्चन और एक्शन स्टार सनी देओल ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं। फिल्म में इनके साथ ही विनोद खन्ना, जया प्रदा, और रवीना टंडन जैसे कलाकार भी थे। यह फिल्म कई मायनों में खास थी, क्योंकि इसमें बॉलीवुड के दो बड़े सितारे—अमिताभ और सनी—एक साथ स्क्रीन शेयर कर रहे थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमिताभ बच्चन और सनी देओल को यह फिल्म कैसे मिली और इसके पीछे की दिलचस्प कहानी क्या है?
फिल्म “इंसानियत” का बैकग्राउंड
फिल्म “इंसानियत” का निर्देशन टी. रामाराव ने किया था और इसका निर्माण दीपक शिवदासानी ने किया। यह फिल्म सत्तर और अस्सी के दशक की सुपरहिट फिल्मों की तर्ज पर बनी थी, जिसमें एक्शन, ड्रामा, और परिवार के साथ-साथ समाज में अच्छाई और बुराई की लड़ाई को दिखाया गया था। यह फिल्म मल्टी-स्टारर थी, जिसमें दो बड़े एक्शन हीरो—अमिताभ बच्चन और सनी देओल—को एक साथ लाया गया था।
लेकिन इस फिल्म के बनने की कहानी काफी लंबी और पेचीदा है। दरअसल, “इंसानियत” का निर्माण 1989 में शुरू हुआ था, और फिल्म लगभग पांच साल बाद 1994 में जाकर रिलीज़ हो पाई। इस बीच फिल्म कई अड़चनों का सामना करती रही, जिसमें अमिताभ बच्चन का ब्रेक लेना और उनके करियर में आए उतार-चढ़ाव शामिल थे।
अमिताभ बच्चन का फिल्म से जुड़ाव
अमिताभ बच्चन, जिन्हें हिंदी सिनेमा का शहंशाह कहा जाता है, उस दौर में पहले से ही इंडस्ट्री में शीर्ष पर थे। अस्सी के दशक में उनके द्वारा किए गए काम ने उन्हें बॉलीवुड का सबसे बड़ा सितारा बना दिया था। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में अमिताभ ने अपनी फिल्मों से कुछ दूरी बनानी शुरू कर दी थी। इस दौरान उनके करियर में भी उतार-चढ़ाव आए, खासकर उनके राजनीतिक करियर के कारण।
1989 में जब “इंसानियत” की शूटिंग शुरू हुई, अमिताभ बच्चन इंडस्ट्री के सबसे व्यस्त और चहेते स्टार थे। फिल्म की कहानी में उनके किरदार की प्रमुखता थी, और यह फिल्म उनके एक्शन और ड्रामा के कौशल को दिखाने का मौका थी। लेकिन फिल्म की प्रोडक्शन में देरी हो जाने के कारण, अमिताभ को इस फिल्म को पूरा करने में काफी समय लगा। 1992-93 के दौरान अमिताभ ने फिल्मों से कुछ समय के लिए ब्रेक लिया था, और यही वजह थी कि “इंसानियत” की रिलीज़ में देरी हुई।
अमिताभ बच्चन को रोल कैसे मिला?
फिल्म के निर्देशक टी. रामाराव और निर्माता दीपक शिवदासानी ने जब “इंसानियत” की कहानी लिखी, तो उनके दिमाग में अमिताभ बच्चन ही मुख्य किरदार के लिए फिट बैठते थे। फिल्म की कहानी एक बहादुर पुलिस अफसर और एक देशभक्त इंसान की थी, जो समाज की बुराइयों और अपराधों से लड़ता है। यह किरदार अमिताभ की छवि से मेल खाता था, जो अपने देश के प्रति निष्ठा और समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाने वाले नायक की थी।
अमिताभ बच्चन की पहले से ही देशभक्ति और समाज से जुड़े मुद्दों पर आधारित फिल्मों में दिलचस्पी रही है, जैसे कि “काला पत्थर”, “शक्ति”, और “मर्द” जैसी फिल्मों में उनके द्वारा निभाए गए किरदार। इसलिए “इंसानियत” में उनका रोल उनके करियर के पिछले किरदारों का ही विस्तार था।
सनी देओल का फिल्म से जुड़ाव
सनी देओल, जो अपने शक्तिशाली एक्शन सीन्स और दमदार डायलॉग्स के लिए मशहूर थे, उस समय बॉलीवुड के नए एक्शन हीरो के रूप में उभर रहे थे। सनी देओल की फिल्में जैसे “घायल” (1990), “दामिनी” (1993), और “जीत” (1996) ने उन्हें एक ऐसी पहचान दिलाई थी, जो उनके पिता धर्मेंद्र की विरासत से अलग थी।
जब “इंसानियत” के लिए एक दमदार और उग्र किरदार की तलाश हो रही थी, तो सनी देओल को इसके लिए चुना गया। उनके एक्शन हीरो की छवि और अभिनय की गहराई ने उन्हें इस फिल्म के लिए परफेक्ट कास्टिंग बना दिया। सनी का किरदार एक रफ एंड टफ आदमी का था, जो न्याय के लिए लड़ता है और अपने तरीके से इंसाफ करने में यकीन रखता है।
सनी देओल को रोल कैसे मिला?
सनी देओल को यह रोल इसलिए मिला क्योंकि फिल्म के निर्माताओं को एक ऐसे अभिनेता की जरूरत थी, जो अमिताभ बच्चन के बराबर की भूमिका निभा सके। सनी उस समय अपनी एक्शन फिल्मों के लिए जाने जाते थे और दर्शकों के बीच उनके संवाद और गुस्सैल अदाओं की लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी। फिल्म में उनका किरदार अमिताभ के किरदार के साथ सीधा टकराव और सहयोग दोनों में था, और इस द्वंद्व को सनी देओल जैसा अभिनेता ही निभा सकता था।
सनी देओल, जो धर्मेंद्र के बेटे होने के बावजूद अपने दम पर इंडस्ट्री में पहचान बना रहे थे, ने “इंसानियत” में अपने रोल के लिए काफी मेहनत की। यह फिल्म उनके लिए एक बड़ा मौका था क्योंकि वे अमिताभ बच्चन जैसे सुपरस्टार के साथ स्क्रीन शेयर कर रहे थे।
फिल्म की कहानी
फिल्म “इंसानियत” की कहानी भ्रष्टाचार, अपराध, और समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ लड़ाई पर आधारित थी। अमिताभ बच्चन ने इसमें एक ईमानदार पुलिस अफसर का किरदार निभाया, जो अपने आदर्शों के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। वहीं, सनी देओल ने एक ऐसे आदमी का किरदार निभाया, जो अपने तरीके से न्याय करता है और गलत कामों के खिलाफ आवाज उठाता है।
फिल्म का प्लॉट दोनों किरदारों के बीच की जटिलताओं और उनके अलग-अलग न्याय के तरीकों को दिखाता है। एक तरफ अमिताभ का किरदार कानून के दायरे में रहकर लड़ाई करता है, तो दूसरी तरफ सनी का किरदार अपने तरीके से अपराधियों को सजा देता है। दोनों के बीच की इस वैचारिक और नैतिक लड़ाई फिल्म की कहानी को दिलचस्प बनाती है।
फिल्म की शूटिंग और मुश्किलें
“इंसानियत” की शूटिंग 1989 में शुरू हुई थी, लेकिन फिल्म कई समस्याओं से जूझती रही। अमिताभ बच्चन के ब्रेक लेने के कारण फिल्म की शूटिंग में देरी हुई। इसके अलावा, कुछ प्रोडक्शन संबंधी दिक्कतें भी आईं, जिससे फिल्म की रिलीज़ टलती रही। आखिरकार, 1994 में फिल्म रिलीज़ हो पाई।
फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन
जब “इंसानियत” रिलीज़ हुई, तो इसे दर्शकों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। हालांकि, फिल्म का बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन उम्मीदों के अनुसार नहीं रहा, लेकिन इसमें अमिताभ बच्चन और सनी देओल के अभिनय की तारीफ हुई। फिल्म का संगीत और एक्शन सीक्वेंस भी सराहे गए।
“इंसानियत” बॉलीवुड की उन फिल्मों में से एक है, जो बड़ी स्टारकास्ट और मल्टी-स्टारर फिल्मों के युग की याद दिलाती है। अमिताभ बच्चन और सनी देओल जैसे सितारों का एक साथ आना, फिल्म के लिए सबसे बड़ा आकर्षण था। दोनों कलाकारों ने अपनी-अपनी भूमिकाओं में दमदार परफॉर्मेंस दी, जिससे यह फिल्म आज भी याद की जाती है। फिल्म की रिलीज में आई चुनौतियों के बावजूद, यह एक यादगार फिल्म बनी रही, जो दर्शाती है कि बॉलीवुड में मल्टी-स्टारर फिल्मों का भी एक अलग ही आकर्षण होता है।