साल 1977 में रिलीज़ हुई ‘Amar Akbar Anthony’ सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि धार्मिक एकता और पारिवारिक मूल्यों की अद्भुत मिसाल बनकर सामने आई। मनमोहन देसाई द्वारा निर्देशित यह फिल्म उस दौर की सबसे बड़ी हिट साबित हुई। फिल्म की कहानी तीन भाइयों की है जो बचपन में बिछड़ जाते हैं और अलग-अलग धर्मों में पलते हैं। एक हिंदू के रूप में अमर एक पुलिस अफसर बनता है। अकबर मुस्लिम परिवार में पलकर कव्वाल बनता है। एंथनी ईसाई मिशनरी में पला-बढ़ा और शराबखाने का मालिक बनता है। तीनों के किरदारों ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ा और फिल्म को एक नया आयाम दिया।
किरदारों के पीछे की दिलचस्प कहानी
विनोद खन्ना को अमर के किरदार में इसलिए लिया गया क्योंकि वह गंभीर और ईमानदार भूमिकाओं में दर्शकों से अच्छा जुड़ाव बनाते थे। ऋषि कपूर का चुलबुला और रोमांटिक अंदाज़ अकबर के कव्वाल चरित्र में जान डालने के लिए एकदम फिट था। लेकिन सबसे खास बात थी अमिताभ बच्चन को दिया गया एंथनी का रोल। यह रोल खास तौर पर उनके लिए लिखा गया था ताकि उनकी गंभीर छवि के साथ एक मस्तीभरी परत भी सामने आए। अमिताभ ने अपने इस किरदार को इतने शानदार तरीके से निभाया कि ‘एंथनी गोंजाल्विस’ आज भी दर्शकों की यादों में बसा है।
एक अखबार की खबर से आई कहानी की प्रेरणा
मनमोहन देसाई को फिल्म की कहानी का विचार तब आया जब उन्होंने एक अखबार में पढ़ा कि एक गरीब पिता ने अपने तीन बच्चों को पार्क में छोड़ दिया था। इस दिल छू लेने वाली सच्चाई से प्रेरित होकर उन्होंने तीन बच्चों की कहानी लिखी जो अलग-अलग धर्मों में पलते हैं लेकिन खून के रिश्ते से जुड़े रहते हैं। फिल्म के निर्माता शुरुआत में अमिताभ को मस्तीभरे रोल में डालने को लेकर आशंकित थे लेकिन देसाई के भरोसे और अमिताभ की परफॉर्मेंस ने सबको चौंका दिया। यह किरदार उनके करियर के सबसे यादगार रोल में से एक बन गया।
सबसे भावुक और प्रतीकात्मक दृश्य
फिल्म का सबसे भावनात्मक सीन तब आता है जब तीनों भाई बिना जाने अपनी ही मां को खून दान करते हैं। यह दृश्य दर्शकों की आंखों में आंसू ला देता है और साथ ही एक गहरा संदेश भी देता है कि धर्मों से बढ़कर इंसानियत होती है। यह दृश्य आज भी भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली दृश्यों में गिना जाता है। यह सिर्फ एक फिल्मी सीन नहीं था बल्कि उस समय की सामाजिक और सांस्कृतिक सोच को भी दर्शाता था कि भिन्नता के बावजूद हम सब एक हैं।
संगीत और सफलता ने बना दिया आइकॉनिक फिल्म
फिल्म का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था और गीत आनंद बख्शी ने लिखे थे। “माई नेम इज़ एंथनी गोंजाल्विस” और “तेरे मेरे लिए” जैसे गाने आज भी लोगों की जुबान पर हैं। 1978 के फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में इसे कई पुरस्कार मिले जिनमें अमिताभ बच्चन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और फिल्म को सर्वश्रेष्ठ संपादन का पुरस्कार मिला। ‘अमर अकबर एंथनी’ न सिर्फ एक मनोरंजक फिल्म थी बल्कि उसने भारतीय समाज को एकजुटता और प्रेम का संदेश भी दिया। यही वजह है कि यह फिल्म आज भी हर उम्र के दर्शकों में उतनी ही लोकप्रिय है जितनी उस समय थी।