Tezaab: जाने अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित को फिल्म “तेजाब ” में कैसे मिला रोल, फिल्म की कुछ दिलचस्प कहानी

Tezaab: जाने अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित को फिल्म "तेजाब " में कैसे मिला रोल, फिल्म की कुछ दिलचस्प कहानी

Tezaab: 1988 में रिलीज़ हुई फिल्म “तेजाब” न केवल अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई, बल्कि इसने हिंदी सिनेमा में भी अपनी अलग पहचान बनाई। “तेजाब” की कहानी, संगीत, और अभिनय के चलते यह फिल्म उस दौर की सबसे बड़ी हिट्स में से एक बन गई। यह फिल्म न केवल अपने स्टार्स के लिए खास थी, बल्कि भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण मोड़ भी थी। आइए जानें कि कैसे अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित को यह फिल्म मिली और इस फिल्म की कुछ दिलचस्प बातें।

फिल्म का निर्माण और निर्देशन

“तेजाब” का निर्देशन एन. चंद्रा ने किया था, जो उस समय एक नए और प्रतिभाशाली निर्देशक के रूप में उभर रहे थे। एन. चंद्रा ने इससे पहले “अंकुश” जैसी फिल्में बनाई थीं, जो समाज की समस्याओं पर केंद्रित थीं और काफी सफल रहीं। “तेजाब” की कहानी भी उसी दिशा में थी, लेकिन इसमें प्रेम, प्रतिशोध, और युवा क्रोध की भावनाओं को केंद्र में रखा गया था। एन. चंद्रा को एक ऐसी कहानी चाहिए थी जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़े और साथ ही बॉक्स ऑफिस पर भी कामयाब हो।

Tezaab: जाने अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित को फिल्म "तेजाब " में कैसे मिला रोल, फिल्म की कुछ दिलचस्प कहानी

अनिल कपूर को फिल्म में कैसे मिला रोल

1980 के दशक में अनिल कपूर तेजी से उभरते हुए सितारे थे। उनकी अदाकारी और व्यक्तित्व ने उन्हें एक मजबूत अभिनेता के रूप में स्थापित किया था। “मशाल,” “मिस्टर इंडिया,” और “कर्मा” जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से उन्होंने दर्शकों का दिल जीत लिया था। जब एन. चंद्रा “तेजाब” के मुख्य किरदार ‘महेश देशमुख’ (मुन्ना) के लिए एक अभिनेता की तलाश में थे, तो उनकी नजर अनिल कपूर पर पड़ी।

महेश देशमुख का किरदार एक गुस्सैल और जुझारू युवा का था, जो अपने परिवार और समाज की समस्याओं के कारण एक कठोर और संघर्षशील व्यक्ति बन जाता है। अनिल कपूर की गहरी आंखों में उस समय के गुस्से और दर्द को दिखाने की क्षमता थी, और एन. चंद्रा ने तुरंत अनिल कपूर को इस किरदार के लिए चुन लिया।

हालांकि, यह निर्णय आसान नहीं था। अनिल कपूर उस समय कई फिल्मों में काम कर रहे थे, और उनके पास तारीखों की समस्या भी थी। लेकिन एन. चंद्रा को अनिल कपूर पर विश्वास था कि वह इस भूमिका में जान डाल सकते हैं। आखिरकार, अनिल ने अपनी तारीखें समायोजित कीं और “तेजाब” का हिस्सा बने। इस फिल्म ने उनके करियर को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया और उन्हें बॉलीवुड के सुपरस्टार्स में गिना जाने लगा।

माधुरी दीक्षित को कैसे मिला रोल

माधुरी दीक्षित उस समय बॉलीवुड में एक नवोदित अभिनेत्री थीं। हालांकि उन्होंने पहले भी कुछ फिल्मों में काम किया था, लेकिन “तेजाब” से पहले उन्हें उतनी पहचान नहीं मिली थी। 1984 में आई “अबोध” से उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी, लेकिन उन्हें वह सफलता नहीं मिल पाई थी जिसकी उन्हें तलाश थी।

एन. चंद्रा को फिल्म की मुख्य अभिनेत्री के लिए एक नई और ताजगी भरी चेहरा चाहिए था। फिल्म की नायिका ‘मोहिनी’ के किरदार में एक ऐसी लड़की की जरूरत थी, जो मासूम भी हो और साहसी भी। माधुरी दीक्षित की मासूमियत और खूबसूरती ने एन. चंद्रा को प्रभावित किया। माधुरी के नृत्य कौशल और उनकी अभिनय क्षमता को देखते हुए एन. चंद्रा ने उन्हें ‘मोहिनी’ के रोल के लिए चुन लिया।

हालांकि, शुरुआत में माधुरी दीक्षित को लेकर निर्माताओं को संदेह था, क्योंकि उस समय वह एक बड़ा नाम नहीं थीं। लेकिन एन. चंद्रा ने उनके टैलेंट पर विश्वास किया और उन्हें फिल्म का हिस्सा बनाया। यह निर्णय उनके करियर के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ, क्योंकि “तेजाब” के बाद माधुरी दीक्षित रातों-रात सुपरस्टार बन गईं। खासकर फिल्म का गाना “एक दो तीन” माधुरी दीक्षित के करियर का टर्निंग पॉइंट बन गया, जिसने उन्हें बॉलीवुड की ‘धक धक गर्ल’ के रूप में स्थापित कर दिया।

फिल्म की कहानी और किरदार

“तेजाब” की कहानी महेश देशमुख (मुन्ना) और मोहिनी की प्रेम कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है, लेकिन यह सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं थी। इसमें मुन्ना के जीवन की समस्याएं, उसकी बहन की जिम्मेदारी और उसकी समाज से लड़ाई को भी प्रमुखता से दिखाया गया था। महेश देशमुख एक पढ़ा-लिखा युवक होता है, लेकिन परिस्थितियों के चलते वह अपराध की दुनिया में चला जाता है। उसकी प्रेमिका मोहिनी, जो एक डांसर है, उसे उसकी परेशानियों से बाहर निकालने की कोशिश करती है।

फिल्म का प्लॉट एक्शन और इमोशन्स का बेहतरीन संगम था। महेश का अपने परिवार और मोहिनी के प्रति प्रेम, उसकी बहन के अपहरण का दर्द, और उसके जीवन में आए बदलावों को अनिल कपूर ने बेहद संवेदनशीलता से निभाया। वहीं, माधुरी दीक्षित के किरदार मोहिनी ने भी दर्शकों का दिल जीत लिया। मोहिनी का संघर्ष, उसका साहस, और उसकी नृत्य प्रतिभा को माधुरी ने पूरी तरह से जीवंत कर दिया।

“एक दो तीन” गाने का जादू

“तेजाब” का सबसे यादगार हिस्सा इसका गाना “एक दो तीन” था, जिसे आज भी हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन गानों में गिना जाता है। सरोज खान द्वारा कोरियोग्राफ किया गया यह गाना माधुरी दीक्षित के करियर का सबसे बड़ा हिट बन गया। माधुरी की एनर्जी, उनकी नृत्य शैली और उनकी आकर्षक उपस्थिति ने इस गाने को अमर बना दिया। “एक दो तीन” ने न सिर्फ माधुरी दीक्षित को एक डांसिंग स्टार बना दिया, बल्कि इस गाने की वजह से फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट साबित हुई।

फिल्म की सफलता और प्रभाव

“तेजाब” बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। फिल्म की कहानी, अभिनय, और संगीत सभी ने दर्शकों को प्रभावित किया। यह फिल्म अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। अनिल कपूर का गुस्सैल और जुझारू किरदार, जिसे लोग “मुन्ना” के नाम से जानते हैं, आज भी उनके सबसे यादगार किरदारों में से एक है। माधुरी दीक्षित की मोहिनी के किरदार ने उन्हें रातों-रात सुपरस्टार बना दिया।

फिल्म का संगीत भी उस समय का सबसे हिट एल्बम साबित हुआ। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा संगीतबद्ध किया गया फिल्म का हर गाना सुपरहिट था, खासकर “एक दो तीन” और “सो गया ये जहां”।

फिल्म के पीछे की दिलचस्प बातें

अनिल कपूर का लुक: फिल्म में अनिल कपूर के किरदार के लिए उनका खास लुक तैयार किया गया था। उनकी झाड़-फूंक बाल और गुस्से से भरी आंखों ने उनके किरदार को और भी प्रभावी बना दिया।

माधुरी की मेहनत: “एक दो तीन” गाने की शूटिंग के दौरान माधुरी दीक्षित को बहुत मेहनत करनी पड़ी। सरोज खान ने उनसे काफी एक्सपेक्टेशन रखी थी, और माधुरी ने इसे पूरी तरह से निभाया। इस गाने ने माधुरी को एक डांस आइकन बना दिया।

अनिल कपूर और माधुरी की केमिस्ट्री: “तेजाब” के बाद अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित की जोड़ी बॉलीवुड में सबसे सफल जोड़ियों में से एक बन गई। दोनों ने इसके बाद कई हिट फिल्मों में साथ काम किया, जैसे “परिंदा,” “बेटा,” और “पुकार”।

“तेजाब” सिर्फ एक फिल्म नहीं थी, बल्कि यह एक ऐसी कहानी थी जिसने समाज के युवाओं के गुस्से, प्रेम, और संघर्ष को बड़े पर्दे पर जीवंत कर दिया। अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित की अदाकारी ने इसे और भी खास बना दिया।

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