Shahenshah: जाने आखिर अमिताभ बच्चन को फिल्म “शहंशाह ” में कैसे मिला रोल फिल्म की कुछ दिलचस्प कहानी

Shahenshah: जाने आखिर अमिताभ बच्चन को फिल्म "शहंशाह " में कैसे मिला रोल फिल्म की कुछ दिलचस्प कहानी

Shahenshah: 1980 के दशक में अमिताभ बच्चन भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली अभिनेता बन चुके थे। लेकिन इसी दशक के मध्य में कुछ कारणों से उन्होंने फिल्मों से थोड़ी दूरी बना ली थी। 1984 में राजनीति में कदम रखते हुए उन्होंने एक अस्थायी विराम लिया। हालांकि, जब अमिताभ ने 1988 में फिल्म “शहंशाह” के साथ वापसी की, तो यह न सिर्फ उनकी एक शानदार वापसी थी, बल्कि इस फिल्म ने उन्हें एक बार फिर सुपरस्टार बना दिया। इस फिल्म के साथ जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियां हैं, जिन्हें जानकर आप समझ पाएंगे कि आखिर कैसे अमिताभ बच्चन को “शहंशाह” में यह किरदार मिला और फिल्म की पृष्ठभूमि कैसी थी।

1. “शहंशाह” की कहानी की उत्पत्ति
“शहंशाह” की कहानी खुद अमिताभ बच्चन की पत्नी, जया बच्चन ने लिखी थी। जया बच्चन, जो खुद भी एक मशहूर अभिनेत्री और लेखिका हैं, ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी थी। उन्होंने अमिताभ बच्चन की स्क्रीन प्रेजेंस और उनकी सुपरहीरो जैसी छवि को ध्यान में रखते हुए यह कहानी तैयार की थी। फिल्म में दोहरे व्यक्तित्व वाला एक किरदार था—एक तरफ दिन में एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर विजय, और रात में एक रहस्यमयी नकाबपोश ‘शहंशाह’।

2. अमिताभ बच्चन की फिल्मों से दूरी और “शहंशाह” की योजना
1984 में जब अमिताभ बच्चन राजनीति में आए, तो उन्होंने फिल्मी दुनिया से दूरी बना ली थी। उस समय वे कांग्रेस पार्टी से जुड़े और इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव लड़े और जीते भी। हालांकि, राजनीति में उनका अनुभव उतना सुखद नहीं रहा, और उन्होंने तीन साल के बाद राजनीति से संन्यास ले लिया। इन तीन वर्षों के दौरान उन्होंने किसी भी फिल्म में काम नहीं किया, और उनके प्रशंसक उन्हें बड़े पर्दे पर देखने के लिए तरस रहे थे।

इसी बीच जया बच्चन ने “शहंशाह” की कहानी लिखी, जो अमिताभ की फिल्मी दुनिया में वापसी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होने वाली थी।

3. शहंशाह के किरदार का निर्माण
फिल्म “शहंशाह” का मुख्य किरदार बहुत ही दिलचस्प था। विजय एक दिन में ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ पुलिस ऑफिसर होता है, लेकिन रात में वह ‘शहंशाह’ के रूप में एक अलग ही अवतार में नजर आता है, जो अपराधियों को अपने तरीके से सजा देता है। यह किरदार बहुत हद तक सुपरहीरो के व्यक्तित्व से मेल खाता था। शहंशाह का लुक भी बहुत आकर्षक और विशिष्ट था, जिसमें उनका स्टाइलिश काला सूट, चमकती चांदी की बाजू, और भारी आवाज ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था।

यह किरदार अमिताभ बच्चन की “एंग्री यंग मैन” छवि से मेल खाता था, जिसे उन्होंने पहले की फिल्मों में भी निभाया था, लेकिन इस बार उनके किरदार में एक नई सुपरहीरो जैसी आभा थी।

4. फिल्म निर्माण में वित्तीय चुनौतियाँ
“शहंशाह” का निर्माण आसान नहीं था। अमिताभ बच्चन की वापसी के साथ दर्शकों की उम्मीदें भी बहुत अधिक थीं, और फिल्म के निर्माता टी.पी. अग्रवाल को इस फिल्म को एक बड़े पैमाने पर बनाने की जिम्मेदारी थी। हालांकि, फिल्म की शूटिंग के दौरान वित्तीय कठिनाइयाँ आईं। कहा जाता है कि फिल्म के प्रोडक्शन के दौरान बजट की समस्या हो गई थी, और इस कारण से फिल्म का निर्माण कुछ समय के लिए ठप भी हो गया था।

लेकिन, अमिताभ बच्चन के प्रति दर्शकों के प्यार और उनकी स्टार पावर के चलते निर्माताओं ने किसी तरह इस समस्या को हल किया और फिल्म की शूटिंग पूरी की।

5. फिल्म के प्रमोशन और अमिताभ की लोकप्रियता
“शहंशाह” के प्रमोशन का एक दिलचस्प पहलू यह था कि अमिताभ बच्चन की वापसी को लेकर दर्शकों में पहले से ही काफी उत्साह था। फिल्म के ट्रेलर और पोस्टर को देखकर ही लोग फिल्म के लिए बेसब्री से इंतजार करने लगे थे। शहंशाह का डायलॉग, “रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह,” उस समय इतना लोकप्रिय हो गया था कि यह हर जगह गूंजने लगा था। इस डायलॉग ने फिल्म की लोकप्रियता में चार चांद लगा दिए थे और यह डायलॉग आज भी अमिताभ बच्चन के सबसे प्रसिद्ध संवादों में से एक है।

6. फिल्म की रिलीज़ और सफलता
जब “शहंशाह” 1988 में रिलीज़ हुई, तो इसे बेहतरीन प्रतिक्रिया मिली। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार सफलता हासिल की और एक बार फिर साबित कर दिया कि अमिताभ बच्चन ही हिंदी सिनेमा के असली ‘शहंशाह’ हैं।

फिल्म के एक्शन सीक्वेंस, खासकर शहंशाह के किरदार द्वारा न्याय करने के अपने अनोखे तरीके, ने दर्शकों को बेहद प्रभावित किया। विजय का किरदार उस समय की सामाजिक स्थिति और भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों के आक्रोश का प्रतिनिधित्व करता था, और अमिताभ बच्चन ने इस किरदार को पूरी निष्ठा से निभाया।

7. शहंशाह का प्रभाव
“शहंशाह” केवल एक फिल्म नहीं थी, बल्कि यह अमिताभ बच्चन की फिल्मों में वापसी का प्रतीक थी। इस फिल्म ने उन्हें एक बार फिर बॉलीवुड का सुपरस्टार बना दिया और साबित किया कि वे आज भी बॉक्स ऑफिस पर सबसे बड़े आकर्षण थे। इस फिल्म ने न सिर्फ उन्हें एक मजबूत अभिनेता के रूप में पुन:स्थापित किया, बल्कि बॉलीवुड के अन्य कलाकारों के लिए भी यह फिल्म एक प्रेरणा साबित हुई।

8. फिल्म के कुछ दिलचस्प पहलू
“शहंशाह” से जुड़े कुछ और दिलचस्प किस्से भी हैं। फिल्म के पोस्ट-प्रोडक्शन के दौरान अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज को लेकर कुछ सुझाव दिए थे, जिससे शहंशाह के किरदार की गंभीरता और भी बढ़ गई।

इसके अलावा, फिल्म के एक्शन सीन भी अपने समय से बहुत आगे थे। शहंशाह का स्टाइलिश अंदाज और उनका मुकाबला करने का तरीका दर्शकों के बीच एक खास जगह बना गया।

9. अमिताभ बच्चन और उनके फैंस का संबंध
“शहंशाह” के साथ अमिताभ बच्चन ने न सिर्फ बड़े पर्दे पर वापसी की, बल्कि अपने फैंस के दिलों में भी एक बार फिर जगह बना ली। इस फिल्म ने अमिताभ के फैंस को यह यकीन दिला दिया कि उनका सुपरस्टार वापसी कर चुका है और वह पहले से भी ज्यादा दमदार है। अमिताभ के फैंस का यह उत्साह फिल्म की बॉक्स ऑफिस सफलता में साफ झलक रहा था।

 

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