Sarkar : Amitabh Bachchan का नाम जैसे ही सामने आता है, एक अद्भुत व्यक्तित्व, जबरदस्त संवाद अदायगी और शानदार अभिनय की छवि हमारे सामने उभरती है। “सरकार” जैसी फिल्म में उनका किरदार और भी खास हो जाता है। इस फिल्म में अमिताभ ने ‘सुभाष नागरे’ का किरदार निभाया, जो एक ऐसे ताकतवर और रहस्यमयी शख्स का चरित्र है जो अपनी न्यायप्रियता और एक खास अंदाज़ से सबके दिलों पर राज करता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर कैसे और किस प्रकार अमिताभ बच्चन को इस दमदार किरदार के लिए चुना गया? यहां हम जानेंगे, कैसे उन्हें ‘सरकार’ में रोल मिला और इस फिल्म की कुछ दिलचस्प बातें।
राम गोपाल वर्मा की कल्पना में “सरकार”
राम गोपाल वर्मा, जो फिल्म जगत में अपने अलग और खास अंदाज के लिए जाने जाते हैं, “गॉडफादर” फिल्म से बेहद प्रभावित थे। वह भारतीय सिनेमा में एक ऐसा किरदार लाना चाहते थे, जो “गॉडफादर” जैसा ही रहस्यमय और गंभीर हो, लेकिन भारतीय सामाजिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि से मेल खाता हो। उन्होंने एक ऐसे किरदार की कल्पना की जो न केवल एक पिता की तरह अपने परिवार का ख्याल रखता हो बल्कि समाज के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण हो। इस सोच से “सरकार” के मुख्य किरदार का आधार तैयार हुआ, और जल्द ही उनके दिमाग में एक ही नाम आया—अमिताभ बच्चन।
अमिताभ बच्चन का चुनाव क्यों?
राम गोपाल वर्मा के अनुसार, अमिताभ बच्चन के पास एक करिश्माई व्यक्तित्व है जो उनके सुभाष नागरे के किरदार को जीवंत बना सकता था। अमिताभ के भीतर एक ऐसा दमदार प्रभाव था कि उनके चेहरे के हाव-भाव और आवाज से सुभाष नागरे को वास्तविकता में ढालना संभव हो सकता था। हालांकि राम गोपाल वर्मा को इस बात का पूरा यकीन नहीं था कि अमिताभ इस किरदार को निभाने के लिए तैयार होंगे, फिर भी उन्होंने अमिताभ के पास अपनी स्क्रिप्ट लेकर जाने का फैसला किया।
कहानी सुनने का खास अनुभव
राम गोपाल वर्मा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह थोड़ा नर्वस थे कि कहीं अमिताभ उनकी बात को ठुकरा न दें। लेकिन जब उन्होंने “सरकार” की कहानी और किरदार का रूप अमिताभ को समझाया, तो अमिताभ ने इसे बेहद रुचि के साथ सुना। फिल्म की कहानी में सुभाष नागरे का किरदार कुछ हद तक महाराष्ट्र के लोकल पॉलिटिक्स से प्रेरित था, और यह किरदार एक ताकतवर शख्सियत को दर्शाता था जो भ्रष्टाचार से लड़ता है और अपने तरीके से न्याय करता है। अमिताभ को यह कहानी इतनी पसंद आई कि उन्होंने तुरंत ही इसमें काम करने की हामी भर दी।
अमिताभ की तैयारी और सुभाष नागरे की छवि
अमिताभ बच्चन, जो हमेशा अपने किरदार में गहराई से उतरने के लिए जाने जाते हैं, ने “सरकार” के सुभाष नागरे की भूमिका को भी पूरी तैयारी के साथ निभाया। फिल्म में उनका किरदार एक ऐसे व्यक्तित्व का प्रतीक है जो न केवल अपने परिवार के प्रति समर्पित है, बल्कि समाज में भी एक मजबूत स्थिति रखता है। अमिताभ ने इस किरदार को निभाने के लिए खुद को एक नए तरीके से ढालना शुरू किया।
उनके लुक पर भी खास ध्यान दिया गया। फिल्म में उनका चेहरा गंभीर और शांत दिखाई देता है, जो सुभाष नागरे के चरित्र को और गहराई प्रदान करता है। उनके हाव-भाव, बोलने का तरीका और खास अंदाज से यह महसूस होता है कि वह कोई आम व्यक्ति नहीं बल्कि एक प्रभावशाली नेता हैं। अमिताभ बच्चन ने इस किरदार में एक ऐसी ऊर्जा भरी कि दर्शक तुरंत ही उनके किरदार के साथ जुड़ गए।
“सरकार” में पारिवारिक और राजनीतिक पहलुओं का मिश्रण
फिल्म “सरकार” में एक तरफ पारिवारिक जिम्मेदारियां दिखाई गई हैं तो वहीं दूसरी ओर राजनीतिक लड़ाइयां भी हैं। सुभाष नागरे का किरदार अपने परिवार के लिए एक संरक्षक है, लेकिन समाज के लिए वह एक न्याय का रक्षक भी है। इस भूमिका में अमिताभ ने न केवल अपने परिवार की परवाह करते हुए दिखाया है बल्कि समाज की बेहतरी के लिए भी खड़ा होते हुए नजर आए।
इस किरदार के माध्यम से अमिताभ ने दर्शकों को यह समझाया कि कभी-कभी कानून से परे जाकर भी समाज के भले के लिए काम करना पड़ता है। फिल्म का ये पहलू ही था जो दर्शकों को “सरकार” के प्रति अधिक आकर्षित कर गया।
अभिषेक बच्चन के साथ बाप-बेटे की केमिस्ट्री
“सरकार” की एक और दिलचस्प बात यह थी कि फिल्म में अभिषेक बच्चन भी थे, जो उनके बेटे की भूमिका निभा रहे थे। फिल्म में बाप-बेटे के बीच की इस केमिस्ट्री को देखने के लिए दर्शक भी उत्सुक थे। असल जिंदगी में भी दोनों बाप-बेटे हैं, इस वजह से उनके अभिनय में एक अलग ही अपनापन देखने को मिला।
अभिषेक का किरदार शिवाजी नागरे, जो अपने पिता के कदमों पर चलकर एक संघर्षशील व्यक्तित्व बनता है, कहानी को और भी मजबूत बनाता है। राम गोपाल वर्मा ने इस तरह की केमिस्ट्री का फायदा उठाते हुए फिल्म में कई इमोशनल सीन डाले, जिनमें बाप-बेटे का स्नेह और अलग-अलग विचारधाराओं का टकराव दर्शकों को बहुत पसंद आया।
फिल्म की शूटिंग और अमिताभ का समर्पण
अमिताभ बच्चन के समर्पण के किस्से फिल्म की शूटिंग के दौरान भी सामने आए। शूटिंग के वक्त वे सुभाष नागरे के किरदार में इस कदर ढल गए थे कि कई बार डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा को भी उन्हें कुछ समझाने की जरूरत नहीं पड़ी। अमिताभ के बारे में मशहूर है कि वह हर सीन को परफेक्ट बनाने के लिए कितनी मेहनत करते हैं, और “सरकार” में भी उन्होंने इसी तरह काम किया। चाहे डायलॉग्स हो या उनके हाव-भाव, हर चीज में उन्होंने एक बेहतरीन स्तर बनाए रखा।
सरकार की सफलता और दर्शकों की प्रतिक्रिया
जब “सरकार” रिलीज हुई, तो दर्शकों ने इसे काफी सराहा। फिल्म को न सिर्फ आलोचकों की प्रशंसा मिली बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छा प्रदर्शन किया। सुभाष नागरे का किरदार और अमिताभ बच्चन की अदायगी लोगों के दिलों में बस गई। “सरकार” में अमिताभ का यह दमदार रोल आज भी लोगों के जेहन में ताजा है।
“सरकार” के बाद बना “सरकार राज”
“सरकार” की सफलता ने निर्माता-निर्देशकों को “सरकार राज” बनाने के लिए प्रेरित किया। इस सीक्वल में भी अमिताभ ने वही दमदार किरदार निभाया और एक बार फिर सुभाष नागरे के रूप में दर्शकों के सामने आए। “सरकार” का यह सफर “सरकार 3” तक गया और हर बार अमिताभ ने अपने अभिनय से साबित किया कि वे इस किरदार के लिए ही बने हैं।
अमिताभ बच्चन को “सरकार” में सुभाष नागरे का रोल मिलना मात्र एक संयोग नहीं था, बल्कि राम गोपाल वर्मा की सोच, अमिताभ का व्यक्तित्व और उनकी अभिनय शैली, सब कुछ मिलकर इस किरदार को जीवंत बनाने में सहायक बने। इस फिल्म में उनके अभिनय ने भारतीय सिनेमा में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया, जो आज भी दर्शकों के दिलों पर राज करता है। “सरकार” भारतीय सिनेमा के उन शानदार पलों में से एक है, जहां अमिताभ बच्चन ने अपनी कलात्मकता से फिल्म को अमर बना दिया।