Kaala Patthar: अमिताभ बच्चन को फिल्म “काला पत्थर” में मुख्य भूमिका कैसे मिली और इसके पीछे की दिलचस्प कहानी काफी रोचक और सिनेमा प्रेमियों के लिए प्रेरणादायक है। यह कहानी उस दौर से जुड़ी है जब अमिताभ बच्चन का स्टारडम उफान पर था, और उन्होंने इंडस्ट्री में “एंग्री यंग मैन” की छवि बना ली थी।
फिल्म का निर्माण और पृष्ठभूमि
“काला पत्थर” 1979 में रिलीज़ हुई एक बहुचर्चित फिल्म है, जिसे प्रसिद्ध निर्देशक यश चोपड़ा ने निर्देशित किया था। यश चोपड़ा और अमिताभ बच्चन की जोड़ी ने इससे पहले कई फिल्मों में साथ काम किया था, जिनमें “दीवार” और “त्रिशूल” जैसी हिट फिल्में शामिल थीं। इस फिल्म की कहानी और अमिताभ बच्चन के किरदार ने भारतीय सिनेमा में नई ऊंचाइयों को छुआ और दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी।
फिल्म “काला पत्थर” का आधार एक सच्ची घटना पर आधारित था। 1975 में धनबाद में चासनाला कोयला खदान में एक बड़ा हादसा हुआ था, जिसमें पानी भर जाने के कारण सैकड़ों मजदूर खदान में फंस गए थे। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था और यश चोपड़ा ने इसी घटना को आधार बनाकर फिल्म की कहानी रची थी।
अमिताभ बच्चन की छवि और “काला पत्थर”
उस दौर में अमिताभ बच्चन ने एक क्रांतिकारी छवि बनाई थी। वे एक ऐसे नायक के रूप में उभर रहे थे, जो व्यवस्था और अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है। उनकी फिल्मों में एक गहरी सामाजिक संदेश देने की प्रवृत्ति थी, और वे आम आदमी की आवाज़ बन चुके थे। यश चोपड़ा ने जब “काला पत्थर” बनाने का निर्णय लिया, तो अमिताभ बच्चन को इस फिल्म के मुख्य किरदार के रूप में देखना स्वाभाविक था।
अमिताभ को विजय पाल सिंह का किरदार दिया गया, जो एक दोषी जहाज कप्तान होता है, जिसने अपने साथियों को समुद्र में डूबने दिया था और अब उसकी आत्मा अपराधबोध से घिरी हुई थी। विजय की इस भूमिका में उन्होंने एक ऐसे इंसान का किरदार निभाया जो अपनी गलतियों के बोझ तले दबा हुआ है और एक नई पहचान पाने की कोशिश कर रहा है।
फिल्म में भूमिका कैसे मिली
यश चोपड़ा और अमिताभ बच्चन के बीच की गहरी समझदारी ने इस फिल्म के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई। जब यश चोपड़ा ने अमिताभ को फिल्म की कहानी सुनाई, तो उन्होंने तुरंत इस किरदार को स्वीकार कर लिया। इस किरदार में गहराई और संवेदनशीलता थी, जो अमिताभ को बेहद पसंद आई।
अमिताभ बच्चन उस समय कई फिल्मों में व्यस्त थे, लेकिन यश चोपड़ा की फिल्में उनके दिल के करीब होती थीं। यश चोपड़ा ने अमिताभ को अपने अगले प्रोजेक्ट “काला पत्थर” के लिए चुनते समय कहा था कि “यह कहानी सिर्फ तुम्हारे लिए है।” यश चोपड़ा ने जिस तरह से फिल्म को प्रस्तुत किया, उसमें अमिताभ को अपने करियर का एक और मील का पत्थर नजर आया।
रोल की तैयारी
अमिताभ बच्चन के अभिनय में जितनी गहराई होती है, वह उनके किरदार की तैयारी में झलकती है। “काला पत्थर” में विजय का किरदार केवल शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण था। विजय का दर्द, उसका अपराधबोध और उसका संघर्ष इस फिल्म के मुख्य बिंदु थे। अमिताभ ने अपने किरदार को गहराई से समझा और उसे जीने के लिए कोयला खदान के मजदूरों के जीवन को करीब से देखा।
उन्होंने खुद को उस दुनिया में डुबो दिया जहां मजदूर अपने जीवन की कठिनाइयों से जूझते हैं। खदान की कालिख, धूल और कठिनाईयां फिल्म के सेट पर भी वास्तविकता में प्रस्तुत की गईं, ताकि अमिताभ और अन्य कलाकार अपने किरदारों को वास्तविकता के करीब ला सकें।
फिल्म के सेट पर अनुभव
“काला पत्थर” की शूटिंग के दौरान कई घटनाएं ऐसी हुईं, जिन्होंने फिल्म की गहराई को और भी बढ़ा दिया। खदानों में शूटिंग करना आसान नहीं था, लेकिन अमिताभ बच्चन और बाकी टीम ने इसे चुनौती के रूप में लिया। अमिताभ ने खुद कई खतरनाक सीन किए, जिसमें कोयले की खदान में फंसने और बाहर निकलने के सीन शामिल थे। इन सीन्स के दौरान वे चोटिल भी हुए, लेकिन उनकी समर्पण भावना ने उन्हें हर मुश्किल का सामना करने के लिए प्रेरित किया।
फिल्म के निर्माण के दौरान अमिताभ और यश चोपड़ा के बीच गहरी दोस्ती और विश्वास और मजबूत हुआ। यश चोपड़ा अमिताभ की मेहनत और उनके अभिनय की काबिलियत से बेहद प्रभावित थे। उन्होंने कहा था कि “अमिताभ अपने किरदार को इतनी गहराई से निभाते हैं कि वह खुद उस किरदार का हिस्सा बन जाते हैं।”
सह-कलाकार और फिल्म की सफलता
“काला पत्थर” में अमिताभ बच्चन के साथ शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, राखी, परवीन बाबी और नीतू सिंह जैसे बड़े कलाकार भी थे। इन सभी कलाकारों के साथ अमिताभ की केमिस्ट्री और उनके बीच का तालमेल फिल्म को और भी जीवंत बना गया। शशि कपूर और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ उनके दृश्यों ने दर्शकों को बांधे रखा और फिल्म की कहानी को और भी प्रभावी बनाया।
“काला पत्थर” बॉक्स ऑफिस पर एक सफल फिल्म साबित हुई। इसने न केवल व्यावसायिक रूप से सफलता हासिल की, बल्कि आलोचकों से भी सराहना पाई। अमिताभ बच्चन की अदाकारी को विशेष रूप से सराहा गया। फिल्म के गीतों, संवादों और कहानी ने दर्शकों के दिलों में एक गहरी छाप छोड़ी।
अमिताभ बच्चन के करियर पर प्रभाव
“काला पत्थर” ने अमिताभ बच्चन की “एंग्री यंग मैन” की छवि को और मजबूत किया। यह फिल्म उनके करियर में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। विजय का किरदार, जो अपने अपराधबोध से जूझ रहा है और अंत में अपने साहस से नई पहचान बनाता है, अमिताभ की छवि के अनुरूप था।
इस फिल्म ने यह साबित कर दिया कि अमिताभ न केवल एक एक्शन हीरो हैं, बल्कि वे गंभीर और संवेदनशील किरदारों को भी बेहद प्रभावशाली ढंग से निभा सकते हैं। “काला पत्थर” के बाद अमिताभ ने कई और सफल फिल्में दीं, लेकिन यह फिल्म उनके करियर में एक विशेष स्थान रखती है।