फिल्म Deewaar 1975 में रिलीज हुई और इसे बॉलीवुड की सबसे आइकोनिक फिल्मों में गिना जाता है। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर की जोड़ी ने कमाल कर दिया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शशि कपूर को ये रोल इतनी आसानी से नहीं मिला था। दरअसल इस फिल्म की कहानी दो भाइयों की थी एक अपराधी और दूसरा ईमानदार पुलिस अफसर। यश चोपड़ा को ऐसे एक्टर की तलाश थी जो ईमानदार और सौम्य पुलिस अधिकारी के किरदार में जान डाल सके। तभी उन्होंने शशि कपूर को इस रोल के लिए चुना और यहीं से फिल्म की किस्मत चमक गई।
अमिताभ और शशि की जोड़ी बनी मास्टरस्ट्रोक
शशि कपूर और अमिताभ बच्चन की जोड़ी पहले भी कई फिल्मों में साथ काम कर चुकी थी लेकिन दीवार में इन दोनों के बीच का टकराव लोगों के दिलों में बस गया। ‘मेरे पास मां है’ डायलॉग आज भी उतना ही असरदार है जितना उस वक्त था। शशि कपूर की शांत लेकिन मजबूत उपस्थिति ने उनके किरदार को यादगार बना दिया। अमिताभ के गुस्सैल और विद्रोही किरदार के सामने उनका संयमित किरदार एकदम संतुलन बनाता है और यही कारण है कि दर्शकों को ये जोड़ी खूब पसंद आई।
फिल्म की स्क्रिप्ट लिखते समय मन में था शशि कपूर का नाम
सलीम-जावेद की जोड़ी जब इस फिल्म की स्क्रिप्ट लिख रही थी तो उन्होंने छोटे भाई के किरदार के लिए पहले से ही शशि कपूर को सोच रखा था। उन्हें पता था कि शशि की आंखों में सच्चाई और चेहरे पर ईमानदारी साफ झलकती है। उन्होंने जानबूझकर ऐसा किरदार गढ़ा जो अमिताभ के दमदार किरदार के सामने टिक सके और दर्शकों की सहानुभूति भी बटोर सके। शशि कपूर ने इस किरदार को निभाकर यह साबित कर दिया कि कम बोलकर भी बहुत कुछ कह सकते हैं।
शूटिंग के दौरान शशि कपूर ने दिखाई प्रोफेशनलिज्म
फिल्म की शूटिंग के दौरान शशि कपूर पूरी तरह से अपने किरदार में डूब गए थे। उन्होंने हर सीन को बड़ी सादगी और सच्चाई के साथ निभाया। यश चोपड़ा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि शशि सेट पर कभी देर से नहीं आते थे और पूरी स्क्रिप्ट हमेशा याद रखते थे। उन्होंने कभी भी अपने रोल को छोटा या बड़ा मानकर फर्क नहीं किया और यही बात उन्हें एक सच्चा कलाकार बनाती है।
दीवार के बाद शशि कपूर के करियर में आई नई ऊर्जा
दीवार के बाद शशि कपूर के करियर को एक नई दिशा मिली। उन्हें गंभीर और संवेदनशील किरदारों के लिए ज्यादा प्रस्ताव मिलने लगे। फिल्म इंडस्ट्री में उनकी छवि एक जिम्मेदार और परिपक्व कलाकार की बन गई। दीवार ने यह साबित कर दिया कि एक शांत और सौम्य किरदार भी उतना ही ताकतवर हो सकता है जितना एक विद्रोही और जुनूनी किरदार। शशि कपूर का ये रोल आज भी हिन्दी सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित किरदारों में गिना जाता है।