फिल्म ‘Naam ’ 1986 में रिलीज हुई थी और यह Sanjay Dutt के करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक बन गई थी। मगर बहुत कम लोग जानते हैं कि इस फिल्म में संजय को रोल इतनी आसानी से नहीं मिला था। शुरुआत में फिल्म के डायरेक्टर महेश भट्ट और प्रोड्यूसर राजेन्द्र कुमार इस रोल के लिए किसी और एक्टर को लेना चाह रहे थे।
संजय दत्त का संघर्ष भरा दौर
उस समय संजय दत्त का करियर काफी मुश्किल दौर में था। उनकी पिछली कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली थीं और इंडस्ट्री में उनके बारे में नकारात्मक बातें होने लगी थीं। मगर संजय के पिता सुनील दत्त ने हमेशा उनके टैलेंट पर भरोसा रखा। जब ‘नाम’ की स्क्रिप्ट तैयार हुई तो सुनील दत्त ने राजेन्द्र कुमार से बात की और संजय के लिए एक मौका मांगा।
स्क्रीन टेस्ट में कैसे जीता सबका दिल
महेश भट्ट को भरोसा नहीं था कि संजय इस इमोशनल रोल को निभा पाएंगे। मगर संजय दत्त ने स्क्रीन टेस्ट में ऐसा शानदार परफॉर्मेंस दिया कि सब चौंक गए। उन्होंने अपने डायलॉग्स में जो दर्द और सच्चाई दिखाई वह डायरेक्टर के दिल तक पहुंच गया। महेश भट्ट ने तुरंत मान लिया कि रवि का रोल सिर्फ संजय ही कर सकते हैं।
शूटिंग के दौरान हुए कई इमोशनल मोमेंट्स
‘नाम’ की शूटिंग के दौरान कई ऐसे पल आए जब सेट पर सबकी आंखें नम हो गईं। खासकर उस सीन में जब संजय दत्त की मां का किरदार निभा रहीं नूतन उन्हें विदा करती हैं। संजय ने खुद कहा था कि असल जिंदगी में अपनी मां नरगिस को खोने का दर्द उन्होंने इस सीन में महसूस किया था। इसीलिए उनका परफॉर्मेंस इतना असरदार रहा।
‘नाम’ ने कैसे बदल दी संजय दत्त की जिंदगी
‘नाम’ सिर्फ एक हिट फिल्म नहीं थी बल्कि इसने संजय दत्त को इंडस्ट्री में एक मजबूत अभिनेता के तौर पर स्थापित कर दिया। इससे पहले लोग उन्हें सिर्फ एक स्टारकिड मानते थे मगर ‘नाम’ के बाद उनकी एक्टिंग की तारीफ होने लगी। इस फिल्म ने उनके करियर को नई दिशा दी और वे एक सीरियस एक्टर के रूप में पहचाने जाने लगे।