1990 में आई फिल्म ‘Awaargi’ को महेश भट्ट ने निर्देशित किया था और इसका हर किरदार बेहद गहराई से लिखा गया था। इस फिल्म में अनिल कपूर ने एक गैंगस्टर ‘अज़ाद’ का रोल निभाया था जो दिल और आत्मा से एक बेहद संवेदनशील इंसान था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये किरदार पहले अनिल कपूर के लिए लिखा ही नहीं गया था? दरअसल, ये रोल शुरू में गुलशन ग्रोवर को ऑफर किया गया था। गुलशन पहले से ही खलनायक और मजबूत किरदारों में अपनी पहचान बना चुके थे। लेकिन स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद उन्होंने खुद ये रोल छोड़ दिया।
अनिल कपूर की गहराई और डेडिकेशन ने दिलाया रोल
जब गुलशन ग्रोवर ने इस रोल को मना किया तो महेश भट्ट के सामने चुनौती थी कि वो एक ऐसा चेहरा ढूंढें जो इस किरदार को सिर्फ निभाए नहीं बल्कि उसमें डूब जाए। तब अनिल कपूर को स्क्रिप्ट सुनाई गई। अनिल उस समय कई हिट फिल्मों का हिस्सा बन चुके थे और उन्होंने जब ‘Awaargi’ की कहानी सुनी तो तुरंत हामी भर दी। उन्हें अज़ाद का इमोशनल और कन्फ्लिक्ट से भरा किरदार बहुत पसंद आया।
कैरेक्टर में ढलने के लिए किया आत्मचिंतन
अनिल कपूर ने इस फिल्म के लिए अपने आपको पूरी तरह बदल लिया था। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि अज़ाद का किरदार निभाना उनके लिए किसी थेरेपी जैसा था। उन्होंने कई हफ्तों तक मुंबई की सड़कों और अंडरवर्ल्ड की ज़िंदगी को समझने की कोशिश की। अनिल ने खुद को इस कदर किरदार में ढाल लिया था कि शूटिंग के दौरान वह सेट पर भी उसी अंदाज में रहते थे।
अनिल और मीना कुमारी की तुलना
फिल्म के एक गाने “Chamakte Chand Ko” को जब फिल्माया गया तो कई लोगों ने अनिल कपूर के अभिनय की तुलना पुराने जमाने की अदाकारा मीना कुमारी से की। उनकी आंखों की भाषा और भावनात्मक संवादों ने दर्शकों को हिला कर रख दिया था। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भले ही औसत रही हो लेकिन क्रिटिक्स ने अनिल कपूर के काम को शानदार बताया।
अनिल कपूर के लिए क्यों थी ये फिल्म खास
‘Awaargi’ अनिल कपूर की उन फिल्मों में से थी जिसमें उन्होंने केवल स्टारडम नहीं बल्कि एक कलाकार की परिपक्वता भी दिखाई। यह फिल्म उनके करियर का टर्निंग पॉइंट नहीं थी लेकिन इसने उन्हें एक्टिंग के एक नए लेवल पर पहुंचा दिया। खुद महेश भट्ट ने एक बार कहा था कि अगर कोई एक्टर अज़ाद के रोल को अपनी आत्मा से निभा सकता था तो वो सिर्फ अनिल कपूर थे।