2005 में आई प्रकाश झा की फिल्म ‘Apaharan ’ ने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों वाली फिल्मों को एक नई दिशा दी। यह फिल्म बिहार में अपहरण उद्योग और राजनीति के गठजोड़ को असलियत के करीब ले जाकर दिखाती है। Ajay Devgan इस फिल्म में अजय शास्त्री के किरदार में हैं जो एक सरकारी नौकरी पाने की चाह में सिस्टम से लड़ता है लेकिन हालात उसे अपराध की ओर मोड़ देते हैं।
कैसे मिला अजय देवगन को अजय शास्त्री का किरदार
प्रकाश झा को फिल्म के लिए ऐसे एक्टर की तलाश थी जो किरदार में गहराई ला सके। अजय देवगन की ‘गंगाजल’ में शानदार परफॉर्मेंस से प्रकाश झा पहले ही प्रभावित थे। इसलिए ‘अपहरण’ में भी उन्होंने अजय को चुना। अजय में वह “खामोश विद्रोह” था जो किरदार के लिए जरूरी था। जब स्क्रिप्ट सुनाई गई तो अजय ने तुरंत फिल्म के लिए हां कर दी क्योंकि उन्हें इसकी कहानी और किरदार में चुनौती नजर आई।
फिल्म की कहानी और असलियत का मेल
फिल्म की कहानी 90 के दशक के बिहार से प्रेरित है जब अपहरण एक तरह का कारोबार बन गया था। नेता पुलिस और अपराधी सब इसमें मिले हुए थे। अजय शास्त्री का किरदार उसी भ्रष्ट माहौल की उपज है जो पहले सिस्टम से उम्मीद करता है लेकिन जब सब कुछ टूटता है तो वह खुद उसी अपराध की राह पकड़ लेता है। उनके पिता एक ईमानदार शिक्षक होते हैं जिनकी आत्मा बेटे के बदलते रास्ते से दुखी होती है।
नाना पाटेकर की धमाकेदार एंट्री
फिल्म में नाना पाटेकर ने त्रिपाठी नाम के माफिया डॉन और नेता का रोल निभाया। पहले यह रोल किसी और को ऑफर हुआ था लेकिन प्रकाश झा को यकीन था कि नाना इस किरदार में जो तीव्रता ला सकते हैं वह कोई और नहीं कर सकता। अजय और नाना के बीच की टकराव भरी केमिस्ट्री फिल्म का सबसे दमदार हिस्सा बनी। दोनों कलाकारों ने अपने किरदारों में जान डाल दी और दर्शकों को हिला दिया।
शूटिंग का संघर्ष और राजनीतिक बहस
फिल्म की शूटिंग बिहार और मुंबई के हिस्सों में हुई। असली लोकेशन पर शूट करना खतरनाक था क्योंकि उस वक्त बिहार में कानून व्यवस्था कमजोर थी। शूटिंग के दौरान कई बार प्रकाश झा को स्थानीय नेताओं और अपराधियों से धमकियां भी मिलीं लेकिन उन्होंने पीछे हटने के बजाय उसी माहौल में फिल्म बनाई ताकि यथार्थ को महसूस किया जा सके। जब फिल्म रिलीज हुई तो इसने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया और साथ ही राजनीतिक बहस भी छेड़ दी। यह अजय देवगन के करियर में एक बड़ा टर्निंग पॉइंट बन गया।