Hindi story: करवा चौथ का पर्व भारतीय महिलाओं के लिए खास होता है। इस दिन वे अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस पावन पर्व की एक ऐसी कहानी है जो न केवल प्रेम और समर्पण की मिसाल है, बल्कि यह भी सिखाती है कि जब तक हम अपने प्रियजनों के लिए सच्चे दिल से कुछ करते हैं, तब तक कुछ भी असंभव नहीं होता।
यह कहानी राधा की है, जो एक छोटे से गांव की साधारण लड़की थी। राधा का विवाह पवन से हुआ था, जो सेना में जवान था। राधा और पवन का विवाह बहुत ही प्रेमपूर्ण था। वे दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे और उनके रिश्ते में विश्वास और समर्पण की नींव बहुत मजबूत थी।
पवन का देश के प्रति कर्तव्य भावना इतनी प्रबल थी कि उसने हमेशा अपने देश को सर्वोपरि माना। राधा को भी अपने पति के इस कर्तव्य पर गर्व था, लेकिन जब भी पवन को सीमा पर जाना पड़ता, राधा के दिल में चिंता की लहर दौड़ जाती। उसने हमेशा अपने पति की सुरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना की।
एक बार, करवा चौथ का पर्व आ गया। राधा ने हमेशा की तरह इस बार भी व्रत रखने का फैसला किया। लेकिन इस बार हालात अलग थे। पवन को सीमा पर एक महत्वपूर्ण मिशन के लिए भेजा गया था, और उसकी जान को बड़ा खतरा था। गांव में खबरें फैलने लगीं कि इस बार मिशन बहुत ही खतरनाक है और सैनिकों के सुरक्षित लौटने की संभावना कम है।
राधा के लिए यह खबर किसी आघात से कम नहीं थी, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने ठान लिया कि इस करवा चौथ पर वह अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे विधि-विधान के साथ व्रत रखेगी। उसने अपने दिल को मजबूत किया और पूरी श्रद्धा के साथ उपवास करने का निर्णय लिया।
राधा ने सुबह जल्दी उठकर स्नान किया और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की। उसने पूरे दिन बिना जल ग्रहण किए व्रत रखा। गांव की दूसरी महिलाएं भी राधा के साहस की सराहना कर रही थीं, लेकिन राधा का मन पवन की सुरक्षा को लेकर बेचैन था।
शाम होते-होते, राधा की सहेलियां और गांव की अन्य महिलाएं उसके पास आईं और उसे उत्साहित करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “राधा, तुम्हारे प्रेम और विश्वास की शक्ति पवन को सुरक्षित वापस लाएगी। तुम्हारी भक्ति और समर्पण निश्चित रूप से भगवान के आशीर्वाद से पूर्ण होगी।”
राधा ने अपने दिल को भरोसा दिलाया और कहा, “मैं जानती हूं कि भगवान मेरे पति की रक्षा करेंगे। मैं अपने व्रत को पूरी श्रद्धा से पूरा करूंगी।”
रात होने पर, चंद्रमा के दर्शन करने का समय आ गया। राधा ने एक थाली में दीपक जलाया, भगवान को अर्पण किया और चंद्रमा की पूजा की। उसने चांद को देखकर अपनी पूजा पूरी की और अपने पति की लंबी उम्र की कामना की।
उस समय, पवन अपनी टीम के साथ दुश्मनों से मुकाबला कर रहा था। लड़ाई बहुत ही कठिन थी, लेकिन पवन ने अपनी हिम्मत और साहस के साथ दुश्मनों का सामना किया। अचानक, एक गोली पवन की तरफ चली, लेकिन चमत्कारिक रूप से वह बच गया। उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी शक्ति ने उसे बचा लिया हो।
पवन ने सोचा, “यह कैसे संभव है? यह कोई साधारण घटना नहीं हो सकती। शायद राधा की प्रार्थनाओं का असर है।”
वह सुरक्षित रूप से मिशन पूरा करके अपने साथियों के साथ वापस आ गया। इस बीच, गांव में भी यह खबर फैल गई कि मिशन पूरा हो गया है और सभी सैनिक सुरक्षित वापस आ रहे हैं। राधा के दिल में खुशी की लहर दौड़ गई।
जब पवन वापस गांव पहुंचा, तो उसने राधा को गले लगाया और कहा, “तुम्हारी भक्ति और प्रेम ने मुझे बचा लिया। तुम्हारी शक्ति ने मुझे इस कठिन समय में सुरक्षा दी।”
राधा ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैंने तो केवल अपने पति की लंबी उम्र और सुरक्षा के लिए प्रार्थना की थी। भगवान ने हमारी प्रार्थनाओं को सुन लिया और हमें आशीर्वाद दिया।”
इस कहानी से राधा और पवन का प्रेम और विश्वास और भी गहरा हो गया। उनके रिश्ते में और भी मजबूती आ गई। राधा की यह कहानी पूरे गांव में प्रेरणा का स्रोत बन गई। लोगों ने इस करवा चौथ पर राधा के साहस और प्रेम की मिसाल को समझा और इसे अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।
करवा चौथ का यह पर्व न केवल व्रत रखने की परंपरा को निभाने का है, बल्कि यह भी सिखाता है कि सच्चे प्रेम और विश्वास से बड़ी कोई ताकत नहीं होती। जब हम दिल से किसी के लिए प्रार्थना करते हैं, तो वह प्रार्थना अवश्य सफल होती है।
राधा की इस कहानी ने यह साबित कर दिया कि प्रेम और विश्वास से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। करवा चौथ के इस पावन पर्व पर, राधा और पवन की कहानी हर स्त्री के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो अपने परिवार और पति की खुशियों और सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करती है।
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