Hindi Story: मेरी प्यारी मां | देखिये खूबसूरत कहानी | Hindi Kahani | Hindi Story | हिंदी कहानी | Hindi Stories

Hindi Story: मेरी प्यारी मां | देखिये खूबसूरत कहानी | Hindi Kahani | Hindi Story | हिंदी कहानी | Hindi Stories

Hindi Story: सुबह की हल्की किरणें जैसे ही खिड़की से अंदर आईं, रामू की नींद खुली। उसने उठकर देखा कि उसकी मां, सुमित्रा, पहले ही जाग चुकी थीं और किचन में काम कर रही थीं। रामू के लिए यह दृश्य कोई नया नहीं था। उसकी मां हर रोज़ सबसे पहले उठती थीं और दिन की शुरुआत अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में करती थीं।

Hindi Story: मेरी प्यारी मां | देखिये खूबसूरत कहानी | Hindi Kahani | Hindi Story | हिंदी कहानी | Hindi Stories

रामू एक छोटे से गाँव में रहता था, जहाँ ज्यादातर लोग खेती-किसानी से अपना गुजारा करते थे। उसका परिवार भी खेती पर ही निर्भर था। उसके पिता का निधन तब हो गया था जब वह केवल 10 साल का था। उसके बाद उसकी मां ने ही उसके जीवन की हर जिम्मेदारी को उठाया था।

सुमित्रा ने अपनी पूरी ज़िंदगी रामू और उसके छोटे भाई-बहनों की देखभाल में लगा दी थी। वह पढ़ी-लिखी नहीं थीं, लेकिन उनके दिल में अपने बच्चों को अच्छा इंसान बनाने की लगन थी। वह चाहती थीं कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर एक बेहतर भविष्य बनाएं।

रामू ने अपनी मां को हमेशा काम करते देखा था। चाहे खेतों में काम करना हो, या घर के सारे काम निपटाना हो, सुमित्रा कभी थकती नहीं थीं। वह सुबह से रात तक मेहनत करतीं, ताकि उनके बच्चों को किसी चीज़ की कमी न हो।

एक दिन, रामू ने अपनी मां से पूछा, “मां, आप इतने सारे काम कैसे कर लेती हो? कभी थकान महसूस नहीं होती?”

सुमित्रा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “बेटा, मां बनने के बाद एक औरत के पास थकान का कोई हक नहीं होता। जब तक मेरे बच्चे खुश और सुरक्षित हैं, मेरी थकान अपने आप ही दूर हो जाती है।”

रामू को अपनी मां की बातें समझ में नहीं आईं, लेकिन उसे यह एहसास था कि उसकी मां एक बहुत खास इंसान हैं। समय बीतता गया और रामू ने स्कूल में अच्छा प्रदर्शन किया। उसने कड़ी मेहनत की और गांव के स्कूल में हमेशा अव्वल आता रहा।

सुमित्रा को अपने बेटे पर बहुत गर्व था। उन्होंने खुद पढ़ाई नहीं की थी, लेकिन वह जानती थीं कि शिक्षा ही रामू को एक बेहतर जीवन दे सकती है। वह अपने बच्चों के भविष्य को लेकर हमेशा चिंतित रहती थीं।

जब रामू ने बारहवीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की, तो सुमित्रा ने सोचा कि अब उसे शहर में पढ़ाई के लिए भेजना चाहिए। लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह रामू को शहर में भेज सकें। उन्होंने सोचा कि अगर रामू को पढ़ाई के लिए शहर भेजना है, तो उन्हें अपनी जमीन बेचनी पड़ेगी।

रामू ने यह सुनकर कहा, “मां, मैं नहीं चाहता कि आप अपनी जमीन बेचें। मैं यहीं रहकर कुछ काम कर लूंगा और पैसे कमा कर आगे पढ़ाई करूंगा।”

सुमित्रा ने रामू को समझाया, “बेटा, यह जमीन तुम्हारे पिता की आखिरी निशानी है, लेकिन अगर इसे बेचने से तुम्हारा भविष्य संवरता है, तो मुझे कोई अफसोस नहीं होगा। मैं चाहती हूं कि तुम पढ़-लिखकर कुछ बनो, ताकि तुम्हारी जिंदगी आसान हो सके।”

रामू ने मां की बातों में छिपे बलिदान को महसूस किया। उसने अपनी मां से वादा किया कि वह उनके विश्वास को कभी टूटने नहीं देगा।

सुमित्रा ने जमीन बेचकर रामू को शहर भेज दिया। शहर में रहकर रामू ने अपनी पढ़ाई पूरी की और इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। उसने अपनी मां की मेहनत और बलिदान को कभी नहीं भूला।

शहर की जिंदगी आसान नहीं थी। रामू को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उसकी मां के दिए हुए संस्कार और उनकी सीख उसे हमेशा प्रेरित करते रहे। उसने खुद को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत की और आखिरकार एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई।

जब रामू ने अपनी पहली तनख्वाह पाई, तो उसने सबसे पहले अपनी मां के लिए एक सुंदर साड़ी खरीदी। वह जानता था कि उसकी मां ने उसे यहां तक पहुंचाने के लिए कितने बलिदान दिए हैं। उसने अपनी मां को फोन करके बताया, “मां, मैंने आपके लिए एक साड़ी खरीदी है। यह आपकी मेहनत और आपके प्यार की निशानी है।”

सुमित्रा की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने गर्व से कहा, “बेटा, मुझे साड़ी की जरूरत नहीं है। तुम्हारी सफलता ही मेरे लिए सबसे बड़ा उपहार है। तुमने जो किया, वह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सपना था।”

रामू को अपनी मां की बातें सुनकर एहसास हुआ कि उसकी मां कितनी महान हैं। उन्होंने अपनी सारी खुशियों को उसके लिए कुर्बान कर दिया था।

कुछ सालों बाद, रामू ने अपनी नौकरी में तरक्की पाई और उसने शहर में एक बड़ा घर खरीदा। वह अपनी मां को गाँव से शहर लाने के लिए तैयार हो गया। उसने अपनी मां से कहा, “मां, अब आप मेरे साथ शहर चलिए। मैंने वहां आपके लिए एक सुंदर घर खरीदा है। आप वहां आराम से रहेंगी।”

सुमित्रा ने रामू की बात सुनी और मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, तुमने मेरे लिए जो किया, वह किसी सपने से कम नहीं है। लेकिन मेरा मन गाँव में ही बसता है। यहाँ के लोग, यहाँ की मिट्टी, और तुम्हारे पिता की यादें—यह सब कुछ मुझे यहाँ रहने के लिए मजबूर करता है।”

रामू ने अपनी मां की इच्छा का सम्मान किया। वह समझ गया कि उसकी मां ने अपना सारा जीवन दूसरों के लिए जिया है, और अब वह वहीं रहना चाहती हैं जहाँ उनका मन सुकून पाता है।

रामू ने गाँव में अपनी मां के लिए एक नया घर बनवाया और हर महीने उनसे मिलने जाता रहा। वह जानता था कि उसकी मां के बलिदान के बिना वह कभी भी अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाता।

सुमित्रा ने अपनी ज़िंदगी अपने बच्चों के लिए समर्पित कर दी थी। उन्होंने अपने बेटे को एक नई दिशा दी और उसे सिखाया कि असली खुशी दूसरों की खुशी में है। रामू ने अपनी मां के बलिदान और उनके दिए हुए संस्कारों को हमेशा दिल में संजोकर रखा।

वक्त बीतता गया, और रामू की मां सुमित्रा अपने जीवन की अंतिम सांसों में थीं। रामू उनके पास बैठा था, उसने अपनी मां का हाथ थामकर कहा, “मां, आपने मुझे जो कुछ भी सिखाया, उसे मैं कभी नहीं भूल सकता। आपके प्यार और बलिदान के कारण ही मैं आज यहां हूँ।”

सुमित्रा ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, मुझे गर्व है कि तुमने मेरी सारी उम्मीदों को पूरा किया। अब मेरा मन शांत है, क्योंकि मैंने अपना फर्ज निभा दिया।”

और उस दिन, सुमित्रा ने अपनी आखिरी सांस ली, लेकिन उनके चेहरे पर संतोष की मुस्कान थी। उन्होंने अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा सपना पूरा होते देखा था—अपने बेटे को सफल और खुशहाल होते हुए।

रामू ने अपनी मां की यादों को अपनी प्रेरणा बना लिया और हर कदम पर उनकी सीखों को अपने जीवन में उतारा। उसकी मां की यादें, उनकी सीखें, और उनका बलिदान हमेशा उसके दिल में जिंदा रहे।

समाप्त

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