Hindi Story: बेटी का सपना, देखिये खूबसूरत कहानी | Hindi Kahani | Hindi Story | हिंदी कहानी | Hindi Stories

Hindi Story: बेटी का सपना, देखिये खूबसूरत कहानी | Hindi Kahani | Hindi Story | हिंदी कहानी | Hindi Stories

Hindi Story: छोटे से गाँव में, जहाँ हर घर की छतें कच्ची थीं और गलियाँ संकरी, वहीँ एक ऐसा घर था जिसमें खुशियाँ तो थीं, लेकिन कई सपनों ने अभी तक अपनी उड़ान नहीं भरी थी। यह घर था लक्ष्मी और उनकी बेटी प्रिया का। लक्ष्मी एक विधवा थीं, जिन्होंने अपने पति के निधन के बाद अपनी बेटी प्रिया को पाल-पोस कर बड़ा किया था। प्रिया उनकी आँखों का तारा थी, और वे उसे हर खुशी देना चाहती थीं, जो वह खुद अपने जीवन में नहीं पा सकी थीं।

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प्रिया एक होनहार और समझदार लड़की थी। वह पढ़ाई में अव्वल थी और उसकी आँखों में एक सपना था—शहर जाकर डॉक्टर बनने का। उसने अपनी माँ से कई बार इस बारे में बात की, लेकिन लक्ष्मी को चिंता थी कि उनकी आर्थिक स्थिति इस बड़े सपने को पूरा करने में बाधा बन सकती है।

लक्ष्मी दिन-रात मेहनत करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही थीं। वह खेतों में काम करतीं, घर-घर जाकर लोगों के कपड़े सिलतीं, और जो भी काम मिल जाता, उसे करतीं। वह चाहती थीं कि प्रिया पढ़-लिखकर कुछ बड़ा करे, लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि कैसे वह शहर भेजकर उसकी पढ़ाई का खर्च उठा पाएंगी।

प्रिया अपनी माँ की स्थिति को समझती थी, लेकिन उसने अपने सपनों को मरने नहीं दिया। उसने ठान लिया था कि वह किसी भी हाल में डॉक्टर बनेगी और अपनी माँ का सपना पूरा करेगी। उसने गाँव के स्कूल में पूरी मेहनत से पढ़ाई की और हर साल अच्छे नंबरों से पास होती रही।

एक दिन, प्रिया ने अपनी माँ से कहा, “माँ, मैं जानती हूँ कि हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन अगर मैं डॉक्टर बन गई, तो हम सबकी जिंदगी बदल जाएगी। मुझे एक मौका दीजिए, मैं शहर जाकर मेडिकल की पढ़ाई करना चाहती हूँ।”

लक्ष्मी ने अपनी बेटी की आँखों में उस दृढ़ निश्चय को देखा, जो उसे अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रेरित कर रहा था। वह सोच में पड़ गईं, लेकिन फिर उन्होंने ठान लिया कि वह अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जाएंगी।

लक्ष्मी ने गाँव के मुखिया से मदद माँगी, लेकिन मुखिया ने यह कहकर मना कर दिया कि लड़कियों को पढ़ाने में पैसे की बर्बादी होती है। लक्ष्मी को यह सुनकर बहुत बुरा लगा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने गाँव के कुछ और लोगों से बात की, लेकिन हर कोई उन्हें समझाने लगा कि लड़कियों की शिक्षा पर इतना खर्च करना सही नहीं है।

लक्ष्मी निराश होने लगीं, लेकिन प्रिया ने अपनी माँ का हौसला बढ़ाया। उसने कहा, “माँ, अगर हमारे पास पैसे नहीं हैं, तो मैं खुद मेहनत करूँगी। मैं पढ़ाई के साथ-साथ ट्यूशन भी पढ़ा सकती हूँ और अपने लिए पैसे कमा सकती हूँ।”

लक्ष्मी ने अपनी बेटी के आत्मविश्वास को देखकर फैसला किया कि वह उसे शहर भेजेंगी, चाहे जो भी हो। उन्होंने अपने पुराने गहनों को बेच दिया और जो भी जमा-पूंजी थी, उसे इकट्ठा करके प्रिया को शहर भेज दिया।

शहर में, प्रिया ने एक छोटे से हॉस्टल में रहकर अपनी पढ़ाई शुरू की। उसने दिन-रात मेहनत की और मेडिकल कॉलेज में दाखिला पाने के लिए जी-जान लगा दी। वह कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ ट्यूशन भी पढ़ाती रही, जिससे उसकी कुछ आर्थिक मदद हो जाती थी।

प्रिया का संघर्ष जारी रहा, लेकिन उसने कभी भी हार नहीं मानी। उसकी माँ की मेहनत और उसके खुद के सपने ने उसे हर मुश्किल का सामना करने की ताकत दी।

कुछ वर्षों बाद, प्रिया ने मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर की डिग्री हासिल की। यह एक ऐसा दिन था, जब उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन वह आँसू खुशी के थे। उसने अपनी माँ के सपने को साकार कर दिया था।

वह अपने गाँव लौटी, और उसकी माँ ने उसे गर्व से गले लगा लिया। लक्ष्मी की आँखों में भी आँसू थे, लेकिन उन आँसुओं में गर्व और खुशी छिपी थी।

प्रिया ने गाँव में ही एक छोटा सा क्लिनिक खोला और वहाँ के लोगों का इलाज करने लगी। उसने अपने ज्ञान और मेहनत से गाँव के लोगों को स्वस्थ जीवन की ओर अग्रसर किया। उसकी माँ लक्ष्मी अब गर्व से कह सकती थीं कि उनकी बेटी ने वह कर दिखाया जो कभी किसी ने सोचा भी नहीं था।

प्रिया का संघर्ष और उसकी सफलता गाँव के सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गई। अब गाँव के लोग अपनी बेटियों की शिक्षा के महत्व को समझने लगे थे। प्रिया की कहानी ने उन्हें यह सिखाया कि अगर एक बेटी को सही मौका मिले, तो वह भी किसी बेटे से कम नहीं होती।

लक्ष्मी अब निश्चिंत थीं, क्योंकि उनकी बेटी ने न केवल अपने सपने को पूरा किया, बल्कि उनकी मेहनत का भी मान रखा। प्रिया ने यह साबित कर दिया कि अगर इंसान में इच्छाशक्ति और मेहनत का जुनून हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता।

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