Dharmendra: धर्मेंद्र को हिंदी सिनेमा के सबसे बहुमुखी अभिनेताओं में गिना जाता है। वे एक्शन, ड्रामा, रोमांस, और कॉमेडी सभी विधाओं में सफल रहे हैं। उनकी 1975 की फिल्म ‘चुपके चुपके’ एक ऐसी ही फिल्म है, जिसने उनके कॉमेडी स्किल्स को न केवल उजागर किया, बल्कि यह फिल्म आज भी हल्की-फुल्की और समझदार कॉमेडी के उदाहरण के रूप में मानी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धर्मेंद्र को इस फिल्म में कैसे काम मिला? आइए इस दिलचस्प कहानी को विस्तार से जानते हैं।
1970 का दशक और धर्मेंद्र का करियर
1970 का दशक धर्मेंद्र के करियर का सुनहरा समय था। वे उस समय बॉलीवुड के शीर्ष अभिनेताओं में से एक थे और “शोले”, “मेरा गाँव मेरा देश”, “धरम वीर” और “यादों की बारात” जैसी कई बड़ी हिट फिल्मों में काम कर रहे थे। उन्हें “ही-मैन” के नाम से जाना जाता था, खासकर एक्शन और रोमांटिक फिल्मों में उनकी भूमिका के लिए। लेकिन इसके साथ ही वे एक गंभीर अभिनेता के रूप में भी अपनी पहचान बना रहे थे।
धर्मेंद्र की फिल्मोग्राफी में कई बड़ी फिल्में शामिल थीं, लेकिन उनके करियर में कॉमेडी का सही प्रदर्शन अभी बाकी था। उस समय के प्रमुख निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी, जो सादगी और हल्के-फुल्के हास्य के लिए जाने जाते थे, ने धर्मेंद्र को अपनी फिल्म ‘चुपके चुपके’ में कास्ट किया और यह एक मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ।
‘चुपके चुपके’ की पृष्ठभूमि
‘चुपके चुपके’ 1975 में रिलीज़ हुई थी और यह एक कॉमेडी फिल्म थी, जो हास्य और मजाक की अद्भुत बुनावट से बुनी गई थी। फिल्म के लेखक गुलजार थे और इसका निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था। फिल्म की कहानी सरल, लेकिन मनोरंजक थी, जिसमें एक प्रोफेसर, पारसनाथ (धर्मेंद्र), और उनके दोस्तों द्वारा खेला गया मजाक केंद्र में था। फिल्म में धर्मेंद्र के साथ अमिताभ बच्चन, शर्मिला टैगोर, जया भादुरी और ओम प्रकाश जैसे दिग्गज कलाकार थे।
फिल्म की कहानी एक पति द्वारा अपनी पत्नी के परिवार के सदस्यों को एक मजेदार तरीके से चकमा देने पर आधारित है। धर्मेंद्र का किरदार प्रोफेसर पारसनाथ, जो बॉटनी का शिक्षक है, अपनी नई नवेली पत्नी (शर्मिला टैगोर) के परिवार के सामने एक मजाक रचता है और खुद को एक ड्राइवर के रूप में पेश करता है। इस कहानी में भाषा, रिश्ते और हास्य का मिश्रण है, जो दर्शकों को बांधे रखता है।
ऋषिकेश मुखर्जी का विश्वास
ऋषिकेश मुखर्जी को अपनी फिल्मों में आम जीवन के चरित्रों को जीवंत करने के लिए जाना जाता था। उनकी फिल्में ज्यादातर समाज के मध्यम वर्ग पर आधारित होती थीं और उन्होंने हास्य, रिश्तों, और छोटे-छोटे मजाकों के जरिए अपने दर्शकों से जुड़ने का तरीका ढूंढा था।
जब मुखर्जी ‘चुपके चुपके’ की योजना बना रहे थे, तो उन्होंने धर्मेंद्र को मुख्य भूमिका में लेने का विचार किया। धर्मेंद्र को कॉमेडी में देखना एक अनूठा अनुभव हो सकता था, क्योंकि वे आमतौर पर एक्शन या रोमांटिक भूमिकाओं के लिए जाने जाते थे। मुखर्जी ने सोचा कि अगर धर्मेंद्र एक साधारण प्रोफेसर के रूप में दर्शकों के सामने आएं, तो यह उनके लिए एक नया और रोचक अनुभव होगा। इसके अलावा, धर्मेंद्र और शर्मिला टैगोर की ऑन-स्क्रीन जोड़ी पहले भी हिट रही थी, इसलिए मुखर्जी को यकीन था कि दर्शक इस जोड़ी को पसंद करेंगे।
धर्मेंद्र की सहमति
धर्मेंद्र पहले से ही ऋषिकेश मुखर्जी के साथ काम कर चुके थे और दोनों के बीच अच्छी समझ थी। जब ऋषिकेश ने धर्मेंद्र को ‘चुपके चुपके’ का प्रस्ताव दिया, तो धर्मेंद्र ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया। वे कॉमेडी फिल्में कम ही करते थे और यह फिल्म उनकी छवि से बिल्कुल अलग थी। लेकिन उन्हें विश्वास था कि ऋषिकेश मुखर्जी की दिशा में वे कुछ नया कर सकते हैं।
धर्मेंद्र को फिल्म की कहानी और किरदार की सादगी बहुत पसंद आई। उन्होंने तुरंत इस फिल्म के लिए हामी भर दी, क्योंकि यह उनके लिए एक ऐसा मौका था, जिसमें वे दर्शकों को हंसा सकते थे और अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकते थे।
‘चुपके चुपके’ की शूटिंग और धर्मेंद्र का प्रदर्शन
फिल्म की शूटिंग के दौरान, धर्मेंद्र ने कॉमेडी के साथ पूरी तरह से न्याय किया। उन्होंने फिल्म में प्रोफेसर पारसनाथ के किरदार को बेहद स्वाभाविकता से निभाया। खासकर उनके संवाद अदायगी और हावभाव ने दर्शकों को खूब हंसाया। धर्मेंद्र का किरदार, जो खुद को ड्राइवर के रूप में प्रस्तुत करता है, और ओम प्रकाश के साथ उनकी नोक-झोंक फिल्म का मुख्य आकर्षण थी।
धर्मेंद्र ने भाषा के मजाक को भी बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया। फिल्म के कई दृश्य, जैसे कि जब वे हिंदी के शुद्ध शब्दों का प्रयोग करके मजाक करते हैं, दर्शकों के लिए आज भी यादगार बने हुए हैं। अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की केमिस्ट्री भी इस फिल्म में जबरदस्त थी, और दोनों के कॉमिक टाइमिंग ने फिल्म को और मजेदार बना दिया।
‘चुपके चुपके’ की सफलता
‘चुपके चुपके’ बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी हिट साबित हुई। फिल्म ने दर्शकों को न केवल हंसाया, बल्कि यह एक क्लासिक कॉमेडी के रूप में भारतीय सिनेमा में अपनी जगह बना ली। धर्मेंद्र का प्रोफेसर पारसनाथ का किरदार आज भी उनके सबसे प्रिय और यादगार किरदारों में से एक माना जाता है।
इस फिल्म के बाद धर्मेंद्र ने साबित कर दिया कि वे सिर्फ एक्शन हीरो ही नहीं, बल्कि कॉमेडी में भी महारत रखते हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग, संवाद अदायगी, और सहज अभिनय ने दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई। ऋषिकेश मुखर्जी का निर्णय सही साबित हुआ और उन्होंने धर्मेंद्र की छवि को एक नए आयाम में पेश किया।
धर्मेंद्र और ऋषिकेश मुखर्जी की जोड़ी
‘चुपके चुपके’ के बाद धर्मेंद्र और ऋषिकेश मुखर्जी की जोड़ी ने और भी फिल्मों में साथ काम किया, जिनमें ‘गुड्डी’ (1971) भी शामिल है, जिसमें धर्मेंद्र ने एक कैमियो रोल किया था। दोनों की जोड़ी ने भारतीय सिनेमा को कई यादगार फिल्में दीं, और ‘चुपके चुपके’ उनकी सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक मानी जाती है।