Baazigar: 1993 में रिलीज़ हुई फिल्म “बाजीगर” ने भारतीय सिनेमा में एक नए युग की शुरुआत की और शाहरुख खान के करियर को एक अलग मुकाम पर पहुंचा दिया। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस फिल्म में शाहरुख खान की एंट्री किस तरह हुई और फिल्म के बनने के पीछे क्या दिलचस्प कहानियां हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे शाहरुख खान को “बाजीगर” में लीड रोल मिला और फिल्म से जुड़ी कुछ रोचक बातें।
फिल्म की शुरुआत: विल्मा और अब्बास-मस्तान की योजना
1990 के दशक की शुरुआत में, अब्बास-मस्तान की जोड़ी बॉलीवुड में एक नया नाम थी। वे एक अनोखी थ्रिलर फिल्म बनाना चाहते थे, जिसमें मुख्य किरदार पूरी तरह से नेगेटिव हो। उस समय तक हिंदी सिनेमा में मुख्य किरदार या हीरो का नेगेटिव रोल निभाना काफी अनसुना था। फिल्म का मूल प्लॉट एक अमेरिकन फिल्म “A Kiss Before Dying” से प्रेरित था, जिसमें एक आदमी बदला लेने के लिए कुछ भी कर गुजरता है।
अब्बास-मस्तान ने यह कहानी सोची कि फिल्म का नायक ही असली विलेन होगा, जो एक खलनायक के रूप में अपनी पहचान बनाएगा, लेकिन फिर भी दर्शकों के दिलों में जगह बना सकेगा। फिल्म की कहानी के मुताबिक, एक ऐसा युवक दिखाया जाना था, जो अपने माता-पिता की मौत का बदला लेने के लिए अमीर घराने की लड़कियों को मार देता है।
सलमान और अनिल कपूर के साथ चर्चा
जब “बाजीगर” की कहानी तैयार हुई, तो अब्बास-मस्तान ने पहले इसे सलमान खान और अनिल कपूर को ऑफर किया। उस समय दोनों बड़े सितारे थे और उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही थीं। लेकिन, इस फिल्म के लिए नेगेटिव रोल निभाना उन्हें उचित नहीं लगा। खासकर सलमान खान को यह विचार पसंद नहीं आया कि फिल्म का नायक एक क्रूर व्यक्ति होगा, जो अंत में मर जाता है। सलमान को यह डर था कि इस तरह के किरदार से उनकी ‘लवर बॉय’ और रोमांटिक छवि पर नकारात्मक असर पड़ेगा। वहीं, अनिल कपूर ने भी इस रोल को रिजेक्ट कर दिया, क्योंकि वह भी फिल्म के किरदार के अंत से खुश नहीं थे।
शाहरुख खान की एंट्री
अब्बास-मस्तान को फिल्म के लिए सही हीरो की तलाश थी, लेकिन कोई बड़ा सितारा इस चुनौतीपूर्ण भूमिका को निभाने के लिए तैयार नहीं था। इसी दौरान शाहरुख खान, जो उस समय एक उभरते हुए अभिनेता थे, ने हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान बनानी शुरू की थी। शाहरुख ने “दीवाना” और “चमत्कार” जैसी फिल्मों से दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा था, लेकिन वे अभी भी अपनी एक खास छवि बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
शाहरुख को अब्बास-मस्तान ने “बाजीगर” की कहानी सुनाई। जहां कई बड़े सितारों ने इस किरदार को नकार दिया था, वहीं शाहरुख ने तुरंत इसे स्वीकार कर लिया। शाहरुख को यह रोल बेहद चुनौतीपूर्ण लगा और उन्होंने यह सोचकर इस फिल्म को साइन किया कि यह उनके करियर का टर्निंग पॉइंट हो सकता है।
शाहरुख खान के मुताबिक, उन्हें ऐसे किरदार निभाने में कोई डर नहीं था, जो परंपरागत हीरो से अलग हो। उन्होंने कहा था कि “मैं एक ऐसा अभिनेता हूं जो हर तरह के किरदार निभाना चाहता है, चाहे वह पॉजिटिव हो या नेगेटिव। ‘बाजीगर’ मेरे लिए एक शानदार अवसर था क्योंकि यह किरदार न सिर्फ एक विलेन था, बल्कि उसकी भावनाओं में एक गहराई भी थी।”
शिल्पा शेट्टी और काजोल का चुनाव
“बाजीगर” में दो मुख्य अभिनेत्रियों की जरूरत थी, जो शाहरुख खान के किरदार से प्रभावित होती हैं। शिल्पा शेट्टी, जो उस समय एक न्यूकमर थीं, को इस फिल्म से अपना डेब्यू करने का मौका मिला। शिल्पा की मासूमियत और खूबसूरती ने उन्हें फिल्म के लिए परफेक्ट बना दिया। वहीं, काजोल, जो उस समय कुछ ही फिल्मों में नजर आई थीं, को दूसरी मुख्य भूमिका के लिए चुना गया। काजोल और शाहरुख की जोड़ी ने आगे चलकर हिंदी सिनेमा के इतिहास में कई हिट फिल्में दीं, लेकिन “बाजीगर” उनकी पहली बड़ी हिट थी।
फिल्म की शूटिंग औ$र चुनौतियां
फिल्म की शूटिंग के दौरान शाहरुख खान ने अपने किरदार में पूरी तरह से डूबकर काम किया। यह किरदार सिर्फ एक सामान्य विलेन का नहीं था, बल्कि उसमें भावनाओं की जटिलताएं थीं। वह एक ऐसा युवक था, जो अपनी भावनाओं में उलझा हुआ था—एक ओर उसका बदला लेने का जुनून था, तो दूसरी ओर प्यार और उसके पारिवारिक रिश्तों की मजबूरी।
शाहरुख ने इस भूमिका को इतनी गंभीरता से निभाया कि कई सीन शूट करने के बाद भी वह किरदार के मूड में रहते थे। खासकर फिल्म के इमोशनल सीन, जहां उनका किरदार अपनी मां (राखी गुलज़ार) के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त करता है, उन सीनों को शाहरुख ने बेहतरीन ढंग से निभाया।
फिल्म की रिलीज और जबरदस्त सफलता
जब “बाजीगर” 1993 में रिलीज हुई, तो यह तुरंत ही एक बड़ी हिट साबित हुई। फिल्म की कहानी, थ्रिल और शाहरुख खान के दमदार अभिनय ने दर्शकों के दिलों को जीत लिया। शाहरुख का नेगेटिव रोल दर्शकों को इतना पसंद आया कि उन्होंने इस किरदार को उनके रोमांटिक हीरो वाले अवतार से भी ज्यादा सराहा।
फिल्म की सफलता ने शाहरुख खान को इंडस्ट्री का नया सुपरस्टार बना दिया। यह वह फिल्म थी जिसने शाहरुख को एक अलग पहचान दी और उन्होंने इसके बाद कई हिट फिल्में दीं। “बाजीगर” से उनकी जोड़ी काजोल के साथ बनी, जो आगे चलकर “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे,” “कुछ कुछ होता है” जैसी सुपरहिट फिल्मों में भी नजर आई।
फिल्म के अनोखे मोड़
“बाजीगर” सिर्फ शाहरुख खान के करियर के लिए महत्वपूर्ण नहीं थी, बल्कि यह फिल्म बॉलीवुड के सिनेमा के ट्रेंड को भी बदलने वाली थी। इससे पहले नेगेटिव किरदार को मुख्यधारा के सिनेमा में इस तरह से पेश नहीं किया गया था, जहां दर्शक उसे चाहने लगे। शाहरुख का किरदार एक एंटी-हीरो था, लेकिन फिर भी लोग उसकी भावनाओं और उसके संघर्ष को समझ पाए। इस फिल्म ने यह साबित किया कि सिर्फ हीरो ही नहीं, बल्कि एक नेगेटिव रोल भी फिल्म को सुपरहिट बना सकता है।
फिल्म के गाने और संगीत
“बाजीगर” के गाने भी उतने ही लोकप्रिय हुए जितनी फिल्म। अनु मलिक के संगीत निर्देशन में बने इस फिल्म के गाने जैसे “ये काली काली आंखें,” “बाजीगर ओ बाजीगर,” और “छुपाना भी नहीं आता” आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं। इन गानों ने फिल्म की रोमांचक कहानी में एक अलग ही जान डाल दी और शाहरुख और काजोल की जोड़ी को और भी मजबूत किया।