Ajooba: फिल्म “अजूबा” 1991 में रिलीज हुई एक महत्त्वाकांक्षी और भव्य फिल्म थी, जिसे शशि कपूर ने निर्देशित किया था। यह फिल्म भारतीय सिनेमा के इतिहास में खास मानी जाती है क्योंकि इसमें उस समय के सबसे बड़े सितारे अमिताभ बच्चन ने लीड रोल निभाया था। इस फिल्म की कहानी और अमिताभ बच्चन का इस फिल्म से जुड़ना अपने आप में बहुत दिलचस्प है। आइए जानें कि कैसे अमिताभ बच्चन को “अजूबा” में रोल मिला और फिल्म की कुछ अनसुनी, दिलचस्प कहानियों के बारे में।
फिल्म “अजूबा” की शुरुआत
“अजूबा” का विचार शशि कपूर के मन में लंबे समय से था। 1980 के दशक में, शशि कपूर का परिवार सिनेमा के निर्माण और निर्देशन में भी काफी सक्रिय हो गया था। उन्होंने “36 चौरंगी लेन” और “विजेता” जैसी कला फिल्मों का निर्माण किया था, लेकिन शशि कपूर का सपना था कि वे एक ऐसी फिल्म बनाएं जो भारतीय सिनेमा में बड़े बजट और महाकाव्य स्टाइल की फिल्मों की कमी को पूरा कर सके। यही सोचकर उन्होंने “अजूबा” का प्लॉट तैयार किया। यह एक काल्पनिक और जादुई दुनिया की कहानी थी, जिसमें नायक असाधारण शक्तियों का धनी होता है।
शशि कपूर का यह विचार था कि “अजूबा” एक पौराणिक फिल्म होगी, जो बच्चों और बड़ों दोनों को लुभा सके। वे इस फिल्म को केवल भारतीय दर्शकों तक सीमित नहीं रखना चाहते थे, बल्कि इसका ग्लोबल अपील भी हो। इसलिए उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर की फिल्मों की तरह भव्य और कल्पनाओं से भरपूर बनाने की योजना बनाई।
अमिताभ बच्चन का चयन
अमिताभ बच्चन के बिना “अजूबा” का विचार अधूरा था। शशि कपूर और अमिताभ बच्चन ने पहले भी कई फिल्मों में एक साथ काम किया था, जैसे “दीवार,” “त्रिशूल,” और “सुहाग”। दोनों की जोड़ी दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय थी। शशि कपूर को इस बात का अहसास था कि अगर उन्हें “अजूबा” के नायक के रूप में कोई एक्टर चाहिए, तो वह अमिताभ बच्चन ही हो सकते हैं।
हालांकि, यह समय अमिताभ बच्चन के करियर का कठिन दौर था। 1980 के दशक के अंत में, उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो पा रही थीं, और उनके करियर में गिरावट आ रही थी। इसके बावजूद, अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता और स्टारडम कम नहीं हुआ था। शशि कपूर ने महसूस किया कि “अजूबा” जैसी बड़ी और साहसिक फिल्म के लिए अमिताभ बच्चन ही सबसे उपयुक्त अभिनेता होंगे।
शशि कपूर ने अमिताभ को “अजूबा” के लिए अप्रोच किया, और अमिताभ बच्चन ने तुरंत इस रोल के लिए हां कह दिया। अमिताभ को यह कहानी काफी रोमांचक लगी, और खासकर फिल्म की भव्यता और इसके निर्देशन का स्टाइल उन्हें आकर्षित कर गया।
“अजूबा” की कहानी
“अजूबा” की कहानी जादू, रहस्य और रोमांच से भरी हुई है। फिल्म की शुरुआत होती है एक जादुई राज्य “बहराम” से, जहां शाही परिवार पर एक दुष्ट जादूगर का साया मंडराता है। इस जादूगर का उद्देश्य राज्य पर कब्जा करना और अपनी बुरी शक्तियों का इस्तेमाल करना है।
फिल्म का मुख्य पात्र, “अजूबा,” एक शक्तिशाली नायक है जिसे राज्य की रक्षा करनी होती है। अजूबा का किरदार एक ऐसे हीरो का होता है, जो अपनी पहचान छुपाकर राज्य के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए लड़ता है। फिल्म में अमिताभ बच्चन का यह किरदार कुछ हद तक “जॉरो” और भारतीय महाकाव्य किरदारों का मिश्रण था। अजूबा अपनी मां, जो रानी है, और पिता, जो एक जादूगर हैं, को बचाने के लिए अपनी जादुई शक्तियों का इस्तेमाल करता है।
इस फिल्म की खास बात यह थी कि इसमें एक्शन, ड्रामा, और जादू का बेहतरीन तालमेल था। बच्चों को यह फिल्म खासकर पसंद आई क्योंकि इसमें अमिताभ बच्चन एक सुपरहीरो की तरह दिखाई दिए, जो अपनी शक्तियों से दुष्टों का नाश करता है।
फिल्म की भव्यता और चुनौती
“अजूबा” की शूटिंग आसान नहीं थी। शशि कपूर ने इस फिल्म के निर्माण में बहुत बड़ा बजट लगाया था। फिल्म में कई अंतरराष्ट्रीय तकनीक और सेट्स का इस्तेमाल किया गया, ताकि इसकी भव्यता बनाए रखी जा सके। इसके अलावा, फिल्म में जादुई दृश्यों और स्पेशल इफेक्ट्स का उपयोग भी किया गया, जो उस समय भारतीय सिनेमा में नया था।
फिल्म की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन को भी कई शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। खासकर एक्शन दृश्यों में, उन्हें कई बार खतरनाक स्टंट करने पड़े। उस दौर में, स्टंट के लिए विशेष सुरक्षा उपाय उतने विकसित नहीं थे, जितने आज हैं, इसलिए अमिताभ को खुद कई जोखिम भरे स्टंट करने पड़े।
फिल्म में एक दृश्य ऐसा भी है, जहां अजूबा को समुद्र के नीचे से खजाना ढूंढना होता है। इस सीन के लिए अमिताभ को पानी के अंदर कई घंटे बिताने पड़े थे। अमिताभ ने इस कठिनाई के बावजूद अपना बेस्ट दिया और फिल्म को सफल बनाने के लिए पूरी मेहनत की।
फिल्म का संगीत और अन्य कलाकार
फिल्म “अजूबा” का संगीत भी बहुत लोकप्रिय हुआ। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने फिल्म का संगीत दिया, और इसके गाने उस दौर में हिट हो गए थे। खासकर “मेरा प्यार भी तू है” और “तेरा नाम लिया” जैसे गानों ने दर्शकों को खूब लुभाया।
फिल्म में अमिताभ बच्चन के अलावा कई अन्य बड़े सितारे भी थे, जैसे ऋषि कपूर, धमीन्द्र, और डिंपल कपाड़िया। अमिताभ और ऋषि कपूर की जोड़ी ने दर्शकों के बीच विशेष छाप छोड़ी। शशि कपूर ने अपने बेटे करण कपूर को भी इस फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका दी थी।
“अजूबा” का प्रभाव और विफलता
भले ही “अजूबा” एक भव्य और महत्त्वाकांक्षी फिल्म थी, लेकिन यह बॉक्स ऑफिस पर उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं हो पाई। इसका कारण शायद उस दौर में भारतीय दर्शकों की बदलती पसंद थी, जो अब ज्यादा यथार्थवादी और सरल कहानियों की तरफ आकर्षित हो रहे थे।
फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स और जादुई तत्वों को लेकर भी कई लोगों ने आलोचना की। कुछ ने कहा कि फिल्म का निर्माण बहुत भव्य था, लेकिन कहानी और निर्देशन में कुछ कमजोरियाँ थीं।
हालांकि, “अजूबा” के फ्लॉप होने के बावजूद, इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन के करियर को एक नए मोड़ पर पहुंचा दिया। फिल्म में उनके अभिनय की तारीफ हुई और उनके फैंस को यह फिल्म आज भी याद है।
“अजूबा” एक ऐसी फिल्म थी, जो भारतीय सिनेमा में एक नई दिशा देने की कोशिश कर रही थी। शशि कपूर की निर्देशन में बनी यह फिल्म एक महत्वाकांक्षी परियोजना थी, जिसे अमिताभ बच्चन ने अपनी बेहतरीन अदाकारी से और भी खास बना दिया। भले ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो पाई, लेकिन इसका प्रभाव और अमिताभ का रोल हमेशा यादगार रहेगा।