Love Shayari: प्यार का दर्द एक अनकहा जज़्बा है जो दिल को गहराई से छूता है। जब हम किसी को दिल से चाहते हैं और वो हमें नहीं मिलता, तो उस असंतोष का एहसास अंदर से चीर देता है। यह दर्द अक्सर उम्मीदों और सपनों की चुराई गई मिठास से उत्पन्न होता है। ऐसे में हृदय में हल्की-सी टीस रह जाती है, जो हर पल महसूस होती है। प्यार का यह दर्द सच्चे भावनाओं का प्रतीक होता है, जो हमें अपने अस्तित्व और प्रेम की गहराई को समझाता है।
1. चुभता तो बहुत कुछ हैं मुझे भी तीर की तरह,
लेकिन खामोश रहता हूँ तेरी तस्वीर की तरह,
ख़ामोश शहर की चीखती रातें,
सब चुप हैं पर, कहने को है हजार बातें…..
2. मैं इस उम्मीद पे डूबा की तू बचा लेगा
अब इसके बाद मेरा इम्तेहान तू क्या लेगा
ये एक मेला है वादा किसी से क्या लेगा
ढलेगा दिन तो हर एक अपना-अपना रास्ता लेगा
मैं बुझ गया तो हमेशा को बुझ ही जाऊँगा
कोई चराग़ नहीं हूँ जो फिर जला लेगा
कलेजा चाहिए दुश्मन से दुश्मनी के लिए
जो बे-अमल है वो बदला किसी से क्या लेगा
मैं उसका हो नहीं सकता बता न देना उसे
सुनेगा तो लकीरें हाथ की अपनी जला लेगा
हज़ार तोड़ के आ जाऊँ उस से रिश्ता
मैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा
3. मंजिल पे न पहुंचे उसे रस्ता नही कहते
दो-चार कदम चलने को चलना नही कहते
एक हम हैं कि ग़ैरों को भी कह देते हैं अपना
एक तुम हो कि अपनों को भी अपना नहीं कहते
कम हिम्मती, ख़तरा है समंदर के सफ़र में
तूफ़ान को हम, दोस्तों, ख़तरा नहीं कहते
बन जाए अगर बात तो सब कहते हैं क्या क्या
और बात बिगड़ जाए तो क्या क्या नहीं कहते
4. वो मिला तो हमें कुछ बाकी ना लगा
उनसे बेहतर कोई साथी ना लगा
शायद रह गई होगी प्यार में कमी हमारी
उन्हें सिर्फ मेरा साथ काफी ना लगा
5. तेरी यादो ने जब गले लगा लिया
अश्क आँखों के तले सजा लिया
हम सबसे बाद में सोये फिर भी
यादो ने सबसे पहले जगा लिया..!!
6. खुशियाँ कम और अरमान बहुत है
जिसे भी देखो परेशान बहुत है…
करीब से देखा तो निकला रेत का घर
मगर दूर से इसकी शान बहुत है…
कहते है सच का कोई मुकाबला नही
मगर आज झूठ की पहचान बहुत है
मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी
यूँ तो कहने को इंसान बहुत है..!!
7. अब ना रोयेंगे हम ख़ुशी के लिए
गम ही काफी है जिन्दगी के लिए
जो हमें जख्म दे के छोड़ गया
हम तड़पते रहे उसी के लिए
जहर भी लग गया दवा बनकर
हम ने खाया था खुदखुशी के लिए
कितना मुश्किल है मोतबर होना
मरना पड़ता है जिन्दगी के लिए
उन चरागों का एहतराम करो
बुझ गए है जो रौशनी के लिए