साल 1981 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘Kaalia’ ने Amitabh Bachchan को एक और सुपरहिट पहचान दी। यह फिल्म एक ऐसे आम आदमी की कहानी थी जो अत्याचार और अन्याय के खिलाफ खड़ा होकर बदला लेता है। निर्देशक थे टी. एन. बैनर्जी और निर्माता सुदेश कुमार। फिल्म का हर सीन अमिताभ की एंग्री यंग मैन छवि को और मजबूत करता गया। दर्शकों को उनका अंदाज़, डायलॉग और स्टाइल इतना पसंद आया कि फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई।
अमिताभ को रोल कैसे मिला
‘क़ालिया’ का रोल अमिताभ को तब मिला जब निर्देशक बैनर्जी किसी ऐसे अभिनेता की तलाश में थे जो गुस्से और भावनाओं दोनों को एक साथ दर्शा सके। पहले इस फिल्म के लिए विनोद खन्ना का नाम चर्चा में था। लेकिन उस वक्त वे फिल्मों से कुछ समय के लिए दूर हो गए थे। इसी बीच अमिताभ का नाम सुझाया गया और जब बैनर्जी ने उन्हें फिल्म की कहानी सुनाई तो अमिताभ तुरंत मान गए। उन्हें इस किरदार में एक आम आदमी की लड़ाई का दर्द और जोश दिखा। यह रोल उनके व्यक्तित्व से बिल्कुल मेल खाता था।
‘कौन कहलाता है क़ालिया’ का जन्म
फिल्म का सबसे प्रसिद्ध डायलॉग “कौन कहलाता है क़ालिया?” शूटिंग के दौरान बना। दरअसल यह लाइन स्क्रिप्ट में इतनी सामान्य थी कि किसी ने खास ध्यान नहीं दिया। लेकिन जब अमिताभ ने इसे अपने अंदाज़ में बोला तो सेट पर सन्नाटा छा गया और फिर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। बाद में यह डायलॉग फिल्म का आइकॉनिक मोमेंट बन गया। आज भी यह डायलॉग अमिताभ की पहचान बन चुका है।
शूटिंग के दौरान की रोचक घटनाएं
‘क़ालिया’ की शूटिंग के दौरान कई दिलचस्प किस्से हुए। एक सीन में अमिताभ को जेल की दीवार फांदनी थी। निर्देशक ने डुप्लीकेट रखने की बात कही लेकिन अमिताभ ने खुद यह सीन करने की जिद की। सीन खत्म होते ही पूरा सेट उनके लिए तालियां बजाने लगा। रेखा के साथ उनकी जोड़ी ने भी फिल्म में अलग ही चमक लाई। दोनों की ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री ने दर्शकों को दीवाना बना दिया।
फिल्म की सफलता और विरासत
‘क़ालिया’ ने रिलीज़ के बाद जबरदस्त कमाई की। इसके गाने “जुम्मा चमक चला” और “जहां तेरी ये नजर है” चार्टबस्टर बने। अमिताभ बच्चन का अंदाज़ और उनका किरदार भारतीय सिनेमा में एक मील का पत्थर बन गया। आज भी जब अमिताभ के करियर की सबसे यादगार फिल्मों की बात होती है तो ‘क़ालिया’ का नाम जरूर लिया जाता है।

