SAD SHAYARI: ये शायरियाँ टूटे दिलों की तन्हाई और अधूरे इश्क़ की गहराई को बयां करती हैं। इनमें जुदाई का दर्द है, बेवफाई की चुभन है और यादों का सैलाब है। ये पंक्तियाँ उन दिलों की आवाज़ हैं जो मुस्कुराते हुए भी अंदर से बिखरे हुए होते हैं। दर्द को अल्फाज़ मिलते हैं।
हँसता तो मैं रोज़ हूँ,
मगर खुश हुए ज़माना हो गया।
कुछ लोग आँखों से
दर्द को बहा देते हैं,
और किसी की हँसी में भी
दर्द छुपा होता है।
चेहरा तो साफ़ कर ले आईने को गंदा बताने वाले,
हर वक़्त सामने वाला ही ख़राब नहीं हुआ करता!
हर रोज़ निकल आते हैं नए पत्ते..
ख़्वाहिशों के दरख़्तों में क्यों पतझड़ नहीं होते..
बेकार जाया किया वक़्त किताबों में,
सारे सबक़ तो कमबख़्त ठोकरों से ही सीखे हैं।।
फर्क था हम दोनों कि मोहब्बत में,
मुझे उससे ही थी,
उसे मुझसे भी थी..!
मिलकर बैठे हैं महफ़िल में जुगनू सारे,
मुद्दा ये है कि सूरज को कैसे हटाया जाए…!!
पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र,
सर पे कितना बोझ है कोई देखता नहीं।
हम झूठों के बीच सच बोल बैठे,
वो नमक का शहर था और हम ज़ख़्म खोल बैठे…!!
ज़िंदगी छोटी नहीं होती है…
लोग जीना ही देर से शुरू करते हैं…!