1981 में रिलीज़ हुई फिल्म “Baseraa” एक इमोशनल ड्रामा थी जिसमें परिवार, बलिदान और रिश्तों की जटिलता को बेहद संवेदनशील तरीके से दिखाया गया। इस फिल्म में शशि कपूर ने बालराज साहनी नाम के किरदार को निभाया जो अपने परिवार के लिए खुद की भावनाओं को भी कुर्बान कर देता है। यह रोल जितना सीधा दिखता है उतना ही अंदर से भावनात्मक और जटिल था।
राज खोसला की पसंद थे शशि कपूर
फिल्म के निर्देशक राज खोसला इस किरदार के लिए एक ऐसे अभिनेता की तलाश में थे जो गरिमा, संवेदना और संतुलन का प्रतीक हो। इस भूमिका के लिए कई नामों पर विचार किया गया लेकिन अंत में शशि कपूर को चुना गया क्योंकि वे उस वक्त अपने अभिनय के परिपक्व दौर में थे और उनके व्यक्तित्व में एक स्वाभाविक शालीनता थी जो इस किरदार के लिए बेहद जरूरी थी।
किरदार के लिए बदली स्क्रिप्ट की टोन
शशि कपूर ने जब स्क्रिप्ट सुनी तो उन्होंने कुछ सुझाव दिए। उनका मानना था कि बालराज का किरदार बहुत ही शांत और सहनशील है लेकिन उसमें एक आंतरिक संघर्ष भी होना चाहिए ताकि दर्शक उससे जुड़ सकें। इस सुझाव को मानते हुए फिल्म के लेखक राही मासूम रज़ा ने डायलॉग्स और कुछ दृश्यों को थोड़ा और गहराई से लिखा ताकि किरदार और प्रभावशाली लगे।
रीखा और राखी के साथ शानदार केमिस्ट्री
फिल्म में शशि कपूर के साथ राखी गुलज़ार और रीखा जैसे मजबूत कलाकार भी थे। शशि कपूर ने दोनों के साथ एक भावनात्मक संतुलन बनाए रखा और उनकी केमिस्ट्री को दर्शकों ने खूब सराहा। खासकर उस सीन में जब उन्हें पहली पत्नी (राखी) के लौट आने के बाद दूसरी पत्नी (रीखा) से दूर होना पड़ता है, उस भावनात्मक टकराव को उन्होंने बेहद सजीव रूप में निभाया।
‘Baseraa’ से जुड़ा एक मजेदार किस्सा
फिल्म की शूटिंग के दौरान एक सीन था जिसमें शशि कपूर को बहुत इमोशनल होकर संवाद बोलना था। लेकिन शूट से पहले उन्हें हिचकी आने लगी जो रुक नहीं रही थी। अंत में यूनिट के एक सदस्य ने उन्हें एक नींबू चटवाया जिससे उनकी हिचकी बंद हुई और उन्होंने सीन को एक ही टेक में पूरा कर लिया।