फिल्म Kati Patang में Rajesh Khanna को कैसे मिला रोल? जानिए फिल्म के कुछ दिलचस्प किस्से

फिल्म Kati Patang में Rajesh Khanna को कैसे मिला रोल? जानिए फिल्म के कुछ दिलचस्प किस्से

फिल्म Kati Patang साल 1971 में रिलीज़ हुई थी और इसे शरद चंद्र चट्टोपाध्याय के एक बंगाली उपन्यास से प्रेरित बताया जाता है। इस कहानी में एक महिला की पहचान छुपाकर जीवन जीने की भावनात्मक और सामाजिक चुनौती को दिखाया गया है। निर्देशक शक्ति सामंत इस कहानी से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे हिंदी सिनेमा में लाने की ठान ली। उनकी इच्छा थी कि फिल्म में एक ऐसा हीरो हो जो सादगी के साथ गहराई को भी परदे पर उतार सके।

 कैसे हुआ राजेश खन्ना का चयन

राजेश खन्ना उस समय अपने करियर के शिखर पर थे। शक्ति सामंत पहले ही ‘आराधना’ में उनके साथ काम कर चुके थे और उनकी अदाकारी से प्रभावित थे। जब ‘कटि पतंग’ की स्क्रिप्ट तैयार हुई तो सबसे पहले राजेश खन्ना का नाम ही उनके ज़हन में आया। बिना किसी ऑडिशन के उन्होंने सीधे राजेश खन्ना से संपर्क किया और भूमिका ऑफर कर दी। राजेश खन्ना ने कहानी सुनते ही हां कर दी क्योंकि उन्हें इस किरदार में भावनात्मक गहराई और रोमांस दोनों नजर आया।

 आशा पारेख की दमदार मौजूदगी

फिल्म में आशा पारेख का किरदार उतना ही महत्वपूर्ण था जितना राजेश खन्ना का। आशा को भी यह भूमिका तुरंत भा गई क्योंकि यह महिला सशक्तिकरण और आत्मबल की एक मिसाल थी। आशा पारेख ने बाद में एक इंटरव्यू में बताया कि ‘कटि पतंग’ उनके करियर की सबसे गंभीर फिल्मों में से एक थी। फिल्म में उनके और राजेश खन्ना के बीच की केमिस्ट्री ने दर्शकों का दिल जीत लिया और दोनों को ‘गोल्डन जोड़ी’ का तमगा मिला।

 सुपरहिट गाने और संगीत की ताकत

फिल्म का संगीत आर डी बर्मन ने तैयार किया था और किशोर कुमार की आवाज़ ने राजेश खन्ना को जैसे अमर कर दिया। ‘ये जो मोहब्बत है’ और ‘प्यार दीवाना होता है’ जैसे गीत आज भी लोगों के ज़ुबान पर हैं। इन गानों ने न सिर्फ फिल्म को हिट बनाया बल्कि राजेश खन्ना की रोमांटिक छवि को और भी मजबूत किया। संगीत ने फिल्म की कहानी में जान डाल दी और दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई।

 फिल्म की सफलता और यादगार बनना

‘कटि पतंग’ बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट साबित हुई। इस फिल्म ने राजेश खन्ना को एक और सुपरस्टार का तमगा दिला दिया। आशा पारेख को इस फिल्म के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला और शक्ति सामंत को एक संवेदनशील निर्देशक के रूप में सराहा गया। फिल्म आज भी क्लासिक मानी जाती है और टीवी पर बार बार दिखाई जाती है। इसके डायलॉग, गाने और अभिनय आज भी लोगों की यादों में ताजगी के साथ जिंदा हैं।

 

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